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सोमवार, 24 जून 2019

जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक को आज संसद में पेश करेंगे गृहमंत्री अमित शाह

जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक को आज संसद में पेश करेंगे गृहमंत्री अमित शाह


लोकसभा में अमित शाह
लोकसभा में अमित शाह - फोटो : bharat rajneeti
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश करेंगे। गृहमंत्री के रूप में अमित शाह का यह पहला विधेयक होगा। इसको पहले अध्यादेश के रूप में लागू किया गया था। जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दी थी।
नियमों के अनुसार, अब यह बिल लोकसभा में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश 2019 को केंद्रीय कैबिनेट ने 28 फरवरी 2019 को मंजूरी दी थी। 

इसके द्वारा जम्मू और कश्मीर आरक्षण विधेयक 2004 में संशोधन होगा जिससे राज्य में सीमा के भीतर रहने वाले लोगों को भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बराबर का आरक्षण मिलेगा। यह विधेयक जम्मू और कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले अध्यादेश की जगह लेगा।

इससे जम्मू-कश्मीर के युवाओं को फायदा होगा जो राज्य सरकार की नौकरियों को पाना चाहते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को जनवरी 2019 में 103 वें संविधान संशोधन के माध्यम से लागू किया गया था।

ज्ञात हो कि भाजपा शुरू से ही जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने की बात कहती आई है। संविधान का यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को संविधान, ध्वज और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मामलों को छोड़कर अपने स्वयं के कानूनों को बनाने का अधिकार देता है। जबकि और अनुच्छेद 35A राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित करता है और बाहरी लोगों को संपत्ति रखने और सरकारी नौकरियों सहित लाभ प्राप्त करने से बाहर रखता है।

क्या होता है अध्यादेश और विधेयक

parliament
parliament - फोटो : bharat rajneeti
विधेयक पास न होने या ससंद का सत्र न चलने की स्थिति में केंद्र सरकार के अनुमोदन पर राष्ट्रपति के द्वारा जो आदेश या अधिसूचना जारी की जाती है, उसे ही अध्यादेश कहते हैं। अध्यादेश की अवधि कम से कम छह हफ्ते और अधिकतम छह महीने की होती है।

यह होता है विधेयक

संसद या विधानमंडल सदस्य द्वारा किसी विषय पर नया नियम बनाने के लिए पहले उसका प्रारूप या ड्राफ्ट बनाया जाता है। इस प्रारूप में उससे सम्बंधित सभी शर्तों का उल्लेख किया जाता है। जब इस प्रारूप को संसद में पेश किया जाता है, तो इसे विधेयक के नाम से जाना जाता है। 

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