एंटी इंकम्बेंसी थामने पीएम होंगे चुनावी राज्यों में चेहरा, शाह ने की कोरग्रुप की बैठक
नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह - फोटो : bharat rajneeti
इस साल के अंत में होने वाले तीन राज्यों हरियाणा, महाराष्ट्रऔर झारखंड विधानसभा चुनाव में राज्य सरकार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी को थामने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ही भाजपा का चेहरा होंगे। रविवार को इन तीनों राज्यों की कोरग्रुप की बैठक में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने नाराज कार्यकर्ताओं को हर हाल में मनाने और स्थानीय मुद्दों का हल निकालने के लिए तीनों राज्यों की सरकार और संगठन को एक महीने का समय दिया है।
खासतौर पर बैठक के दौरान लोकसभा चुनाव में हरियाणा में मिली जबर्दस्त जीत के बावजूद दिग्गज मंत्रियों की सीटों पर पिछड़ने और सरकार के कई प्रमुख चेहरों की सीटों पर अपेक्षित बढ़त नहीं मिलने पर चिंता जाहिर की गई।सूत्रों ने बताया कि शाह ने अपने निवास पर बुलाई बैठक में मुख्यमंत्रियों से कहा कि सभी लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के पक्ष में बने वातावरण को बनाए रखने की रूपरेखा तैयार करें। इसके लिए खासतौर पर नाराज कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करते हुए उन्हें पार्टी के कार्यक्त्रस्मों में लगाएं।स्थानीय समस्याओं मसलन बिजली-पानी जैसे मुद्दें को हर हाल में एक महीने के अंदर दुरुस्त करें। केंद्र की महत्वाकांक्षी योजनाओं मसलन उज्वला, मुफ्त बिजली, स्वास्थ्य बीमा के लाभार्थियों के साथ पहली बार मत डालने वाले युवाओं से लगातार संपर्क बनाए रखने की रूपरेखा तैयार करें।
हरियाणा के कुछ मुद्दों पर शाह गंभीर
लोकसभा चुनाव में पार्टी को राज्य की 90 में से 79 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली। मगर पार्टी मुस्लिम और जाट बाहुल्य सीटों पर पीछे रही। सूत्रों ने बताया कि बैठक में खासतौर पर दिग्गज मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ की सीट बादली में 11500 मतों से तो कैप्टन अभिन्यु की नारनौद सीट पर 3300 वोटों से पीछे रहने पर चिंता व्यक्त की गई।
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री रहे चौधरी बीरेंद्र सिंह की घर की सीट ऊंचाना में महज 9000 की बढ़त, बेरी, सांपला किलोई, महम के साथ-साथ गुरुग्राम की 3 सीटों पर पिछडऩे पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। शाह ने इन सीटों पर तत्काल हालात संभालने के संकेत दिये हैं।
मोदी ही चेहरा क्यों?
दरअसल पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव राष्ट्रवाद और पीएम मोदी के नाम पर लड़ा गया। इससे इन राज्यों में स्थानीय मुद्दे गौण हो गए। जबकि इन राज्यों में सरकार के खिलाफ नाराजगी है। पार्टी पिछला विधानसभा चुनाव भी किसी चेहरे को सामने लाने के बदले पीएम मोदी के चेहरे के सहारे लड़ा था। विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी न हो जाएं, इससे बचने के लिए पार्टी एक बार फिर से पीएम मोदी को ही अपना चेहरा बनाना चाहती है।