एस-400 पर अमेरिका को भारत की दो टूक, हमारे सुरक्षा हित अहम किसी के दबाव में नहीं झुकेंगे
प्रेसवार्ता के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर - फोटो : bharat rajneeti
भारत ने अमेरिका से दो टूक कहा कि रूस के साथ एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 को लेकर हुए करार पर वह किसी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। अमेरिकी समकक्ष माइक पोम्पियो के साथ बुधवार को हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इस मामले में भारत वही करेगा, जो राष्ट्रहित में होगा। हालांकि ईरान के मुद्दे पर भारत अमेरिकी रुख में कोई परिवर्तन नहीं ला पाया। अमेरिकी विदेश मंत्री ने ईरान को आतंक का सबसे बड़ा प्रायोजक देश बताते उस पर कड़े प्रतिबंधों का समर्थन किया।
वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने एस-400 को लेकर ‘काटसा’ (काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट) के तहत प्रतिबंधों के सवाल पर कहा कि भारत के साथ कई देशों के रिश्तों का लंबा इतिहास रहा है। अलग-अलग देशों से रिश्ते का अपना एक महत्व है। जहां तक रूस के साथ करार का सवाल है तो हम वही करेंगे जो कि राष्ट्रहित में सर्वोपरि होगा। संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका एक अहम साझेदार हैं और दोनों देश इस साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रहे हैं। इससे पहले, जयशंकर और पोम्पियो के बीच ऊर्जा, व्यापार मुद्दों, अफगानिस्तान, खाड़ी और हिंद प्रशांत क्षेत्र जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। ईरान पर नहीं बनी बातजी-20 देशों के सम्मेलन से पहले पोम्पियो के अहम महत्वपूर्ण दौरे में ईरान का भी मामला उठा। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने अमेरिका से ईरान से कच्चा तेल आयात करने के लिए रियायत मांगी। हालांकि भारत को अमेरिका से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका ने जो भी कदम उठाए हैं, वह विश्व शांति के साथ-साथ अपने देश की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं। गौरतलब है कि ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद अमेरिका ने भारत को कुछ दिनों के लिए तेल आयात की इजाजत दी थी, जो अब खत्म हो गई है।
व्यापार मुद्दों पर मतभेद को नहीं दी तवज्जो
एच-1बी वीजा सहित व्यापार से जुड़े मुद्दों पर अमेरिका से जारी मतभेद को भी जयशंकर ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी। जयशंकर ने कहा कि लंबी अवधि के रिश्तों में इस प्रकार के मतभेद स्वाभाविक हैं। कूटनीति के जरिये इन मतभेदों को सुलझाया जा सकता है। दोनों देश मतभेद सुलझाने को लेकर सहमत हैं। पोम्पियो ने भी कहा कि भारत अमेरिका के संबंध द्विपक्षीय न हो कर बहुपक्षीय हैं। दोनों देशों के पास साथ-साथ आगे बढ़ने के कई बड़े अवसर हैं।
पीएम से कई अहम मुद्दों पर चर्चा
जयशंकर से द्विपक्षीय वार्ता से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। इस दौरान विदेश मंत्री जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल भी मौजूद थे। इस दौरान जी-20 बैठक के एजेंडे, सीमा पर आतंकवाद समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री ने व्यापार, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, रक्षा व आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में द्विपक्षीय संबंधों को पूरी क्षमता से आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्धता जताई। मुलाकात के दौरान पोम्पियो ने मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से चुनाव में जीत पर बधाई दी। पीएम ने भी ट्रंप को अपनी तरफ से आभार और धन्यवाद देने का पोम्पियो को अनुरोध किया।