तीन तलाक पर संसद में भिड़ेंगे नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार, सतह पर आ सकते हैं भाजपा-जेडीयू के मतभेद - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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मंगलवार, 18 जून 2019

तीन तलाक पर संसद में भिड़ेंगे नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार, सतह पर आ सकते हैं भाजपा-जेडीयू के मतभेद

तीन तलाक पर संसद में भिड़ेंगे नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार, सतह पर आ सकते हैं भाजपा-जेडीयू के मतभेद


नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार (फाइल फोटो) - फोटो :bharat rajneeti
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीन तलाक बिल को संसद के पटल पर लाने का फैसला किया जा चुका है। आज लोकसभा में बाकी सांसदों को शपथ दिलाये जाने के बाद जल्द ही यह बिल संसद के पटल पर रखा जा सकता है। माना जा रहा है कि इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू के मतभेद सतह पर आ सकते हैं।


हालांकि, जेडीयू नेता केसी त्यागी ने इस बात को लेकर अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट कर दिया है कि वे तीन तलाक बिल के विरोध में हैं और सदन में इसका समर्थन नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने भाजपा से किसी तरह का मतभेद होने से इनकार किया है, लेकिन माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में भागीदारी से शुरू हुआ तनाव तीन तलाक बिल पर दोनों दलों के बीच टकराव के रूप में सामने आ सकता है।

अगले तीन से चार महीनों के बीच महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन अहम चुनावों को देखते हुए भाजपा तीन तलाक बिल को शीघ्र ही सदन से पास करवाना चाहेगी। लोकसभा में इसके लिए उसके पास पर्याप्त संख्या बल है और तीन तलाक बिल पास कराने के लिए उसे किसी सहयोगी दल पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।

लेकिन जब यही बिल राज्यसभा में जाएगा तब उसके लिए भाजपा को सहयोगी दलों के साथ-साथ अन्य दलों के सहयोग की भी जरूरत पड़ेगी। ऐसे समय में एनडीए खेमे से ही जेडीयू का भाजपा के साथ न होना उसके लिए महंगा सौदा साबित हो सकता है। अगर अन्य दलों का साथ न मिला तो इस बिल का भी पुराना हश्र हो सकता है जब यह निरस्त हो गया था और सरकार को अपनी साख बचाने के लिए इस मुद्दे पर अध्यादेश जारी करना पड़ा था।

लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल कर सत्ता में वापस आई भाजपा सदन की ऐसी शुरुआत बिल्कुल नहीं चाहेगी और यही कारण है कि उसके रणनीतिकारों ने बिल पास कराने के लिए प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में भागीदारी को लेकर नीतीश कुमार की नाराजगी सामने आ चुकी है। अपने दल के लिए तीन मंत्रालय मांग रहे जेडीयू को भाजपा ने सिर्फ एक मंत्रालय का ऑफर देकर लोकसभा चुनाव के बाद उसकी हैसियत बता दी है।

जवाब में नीतीश कुमार ने भी अपने मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा को जगह न देकर इसका जवाब भी दे दिया है। जेडीयू नेता प्रशांत किशोर के ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का प्रचार संभालने के मुद्दे से भी अच्छा सन्देश नहीं गया है। लेकिन जेडीयू ने इसे उनका व्यक्तिगत मसला बताकर किनारा कर लिया है और इस मुद्दे पर प्रशांत किशोर से कोई जवाब तलब न कर भाजपा को अपना तल्ख सन्देश दे दिया है।

नीतीश कुमार के पास विकल्प नहीं

बिहार भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में हमें उनकी जरूरत थी। नीतीश के दबाव के कारण ही भाजपा को समझौता करना पड़ा और 2014 के चुनाव में जीती 22 सीटों से भी कम यानी केवल 17 सीटों पर समझौता करना पड़ा था। अब बिहार विधानसभा चुनाव का समय आ रहा है जहां नीतीश कुमार की कुर्सी दांव पर है। ऐसे में भाजपा अब उनके सामने झुकने के मूड में नहीं है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनकी ‘मनमानी’ न सुनकर पार्टी ने उन्हें यही सन्देश दिया है।

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