सुप्रीम कोर्ट ने दोषी डॉक्टर को रिहा करते हुए एक साल में 100 पौधे लगाने का दिया आदेश

रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि घटना के वक्त सोलेमन नाबालिग था। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत यदि आरोपी को नाबालिग ठहराया जाता है तो उस मामले को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को रेफर कर दिया जाता है लेकिन जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने इस मामले को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड भेजने के बजाय सजा को रद्द कर दिया।
पीठ ने कहा कि चूंकि यह घटना 2004 की है। ऐसे में हमारा मानना है कि इस मामले को बोर्ड के पास भेजना उचित नहीं होगा। बेहतर यह होगा कि 32 वर्षीय सोलेमन (अब पेशे से डॉक्टर) को समुदाय की सेवा करने के लिए कहा जाए। याचिकाकर्ता के वकील ने सुझाव दिया कि सोलेमन को पौधे लगाने का निर्देश दिया जाए। पीठ ने इस सुझाव को स्वीकार करते हुए सोलेमन को एक वर्ष में 100 पौधे लगाने का आदेश दिया।