Bharat ki Rajneeti News: 39 साल मुकदमा और 10 साल जेल के बाद कोर्ट का आदेश- जुर्म के समय आरोपी नाबालिग, रिहा करो

गया की जिला सत्र अदालत ने 1980 में बनारस सिंह को इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ उसने पटना हाईकोर्ट में अपील की लेकिन 1998 में उसकी अपील को खारिज कर दिया गया। उसने दलील दी थी कि घटना के समय वह नाबालिग था इसलिए उसे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत सजा सुनाई जाए।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा कि घटना के समय बनारस सिंह नाबालिग था। जिसने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत अधिकतम तीन साल की कैद की सजा दी जानी चाहिए लेकिन, उसने 10 साल जेल काटी है। इसलिए, उसे तुरंत रिहा कर देना चाहिए।