चुनावी वर्ष में भी दिल्ली को नहीं मिला रिटर्न गिफ्ट, भाजपा के आगे सवाल
यानी, इस बार भी मान लिया जाए कि भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनावों में कोई उपलब्धि के बजाय एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहारे ही उतरने के लिए मजबूर होगी। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को एक बार फिर केंद्र व भाजपा पर प्रहार करने का मौका मिल गया है।
दिल्ली में चुनाव नजदीक है। दिल्ली में मेट्रो, सड़क, प्रदूषण इत्यादि के अलावा बुनियादी सुविधाओं के लिए केंद्र से काफी उम्मीद थी। आशा जताई जा रही थी कि बजट में दिल्ली के लिए विशेष पैकेज की घोषणा हो सकती है, जिसके जरिये भाजपा वोटरों को यह संदेश दे सके कि दिल्ली में भी भाजपा की सरकार बनने से तरक्की के द्वार खुल सकते हैं। भाजपा नेता भी काफी आस लगाए हुए थे।
केंद्रीय बजट में मात्र छोटे व्यापारियों को पेंशन की बात को छोड़ दिया जाए तो दिल्ली की जनता के लिए कुछ खास नहीं है, जिसके आधार पर भाजपा वोट मांग सके। कुछ भाजपा नेताओं ने तो दबी जुबां में कहा कि वह मोदी के नाम पर जनता के बीच जाएंगे। दूसरी तरफ केंद्रीय बजट 2019-20 में दिल्ली की केंद्रीय करों में हिस्सेदारी नहीं बढ़ाने से दिल्ली सरकार व भाजपा शासित एमसीडी के बीच विवाद फिर से उसी प्रकार रहने की संभावना है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी करों में बढ़ोतरी ना मिलने पर निराशा जताई है। पहले भी दिल्ली सरकार उचित हिस्सेदारी नहीं मिलने पर एमसीडी को राशि बढ़ाने से इंकार करती रही है और यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की संभावना है।