धारा 377 पर ऐतिहासिक फैसले के पीछे खड़ी रहीं इन दोनों वकीलों ने किया खुलासा- वे खुद हैं 'कपल'
Menaka Guruswamy and Arundhati Katju - फोटो : bharat rajneeti
समलैंगिक समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ने वाली वकील अरुंधति काटजू और मेनका गुरुस्वामी का नाम पिछले दिनों दुनिया के टॉप 100 प्रभावशाली व्यक्तित्व में आया था। अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका 'टाइम' की ओर से जारी किए गए दुनिया के टॉप 100 प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में महज तीन भारतीय नाम शामिल थे, जिनमें मुकेश अंबानी के अलावा ये दोनों वकील शामिल हुईं। इन दोनों वकीलों ने खुद को 'कपल' बताया है।
सुप्रीम कोर्ट में सेक्शन 377 के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली वकील अरुंधति काटजू और मेनका गुरुस्वामी ने हाल ही में यह खुलासा किया है कि वो कपल हैं। 18 जुलाई को टीवी चैनल सीएनएन को दिए गए इंटरव्यू में मेनका और अरुंधति ने कपल होने की बात कबूली।
इंटरव्यू के दौरान जब सवाल किया गया कि 377 के खिलाफ जीत सिर्फ वकीलों के तौर पर बड़ी जीत नहीं थी, बल्कि एक कपल के तौर पर भी थी, तो वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि साल 2013 में एक वकील के तौर पर, देश के नागरिक के तौर पर नुकसान हुआ था, वह व्यक्तिगत नुकसान था। एक 'अपराधी' होना अच्छा नहीं लगता, जिसे दूसरे मामलों पर बहस करने के लिए एक वकील के रूप में कोर्ट में वापस जाना पड़ता है। वहीं, काटजू ने अपने ट्विटर एकाउंट पर मेनका के साथ एक तस्वीर भी साझा की है।
प्रतीकात्मक तस्वीर : bharat rajneeti
मालूम हो कि दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2013 में एक फैसला दिया था, जिसमें समलैंगिकता को अपराध माना गया था। इसके खिलाफ एलजीबीटी समुदाय ने काफी लंबी लड़ाई लड़ी। जिसके बाद पिछले साल छह सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 के उस प्रावधान को रद्द कर दिया, जिसके तहत आपसी सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध अपराध की श्रेणी में आते थे।
चीफ जस्टिस रहे दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि हर किसी को निजता का मौलिक अधिकार है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंगटन नरीमन, डीवाई चंद्रचूड़, एएम खानविलकर और इंदु मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ ने एकमत होकर यह निर्णय दिया था।