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बुधवार, 17 जुलाई 2019

महाराष्ट्र: एनसीपी ने कांग्रेस से की बराबर सीटों की मांग, कहा- 'हमने अच्छा प्रदर्शन किया'

महाराष्ट्र: एनसीपी ने कांग्रेस से की बराबर सीटों की मांग, कहा- 'हमने अच्छा प्रदर्शन किया'

राहुल गांधी-शरद पवार (फाइल फोटो)
राहुल गांधी-शरद पवार (फाइल फोटो) - फोटो : Bharat Rajneeti
महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनाव में शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)  ने कांग्रेस से बराबर सीटों की मांग की है। दोनों पार्टियों के बीच मंगलवार को इस मामले पर बैठक हुई है। बता दें 288 सीटों वाले इस राज्य में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होंगे। 2019 का लोकसभा चुनाव भी एनसीपी ने कांग्रेस के साथ ही लड़ा था।

बदल चुकी हैं परिस्थितियां

बैठक के खत्म होने के बाद एनसीपी के एक नेता ने कहा कि अब परिस्थियों में बदलाव हो चुका है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में एनसीपी ने कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया है। यही कारण है इस बार हमें बराबर सीटें मिलनी चाहिए। एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं ने भी मंगलवार को बैठक की। जिसमें लोकसभा चुनाव में मिली हार पर चर्चा हुई और साथ ही ईवीएम को लेकर भी सवाल उठाए गए। 

एनसीपी को मिली अधिक सीटें

इस साल हुए आम चुनाव में कांग्रेस ने 25, एनसीपी ने 20 और एक अन्य सहयोगी पार्टी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। जिसमें कांग्रेस को महज एक सीट और एनसीपी  को चार मिलीं। इससे पहले 2014 के आम चुनाव में भी एनसीपी कांग्रेस से आगे रही थी। तब भी दोनों पार्टियों ने साथ में ही चुनाव लड़ा था, जिसमें कांग्रेस को दो और एनसीपी को चार सीटें मिली थीं।

20 साल पुराना गठबंधन

इन दोनों पार्टियां का 1999 से गठबंधन है। हालांकि 2014 विधानसभा चुनाव में दोनों ने एक साथ चुनाव नहीं लड़ा था। 2004 के विधानसभा में भी एनसीपी ने कांग्रेस की तुलना में अधिक सीटों पर जीत दर्ज की थी। एनसीपी ने बाद में मुख्यमंत्री पद की भी मांग की थी।

क्या कहता है गणित?

225 सदस्यों वाली विधानसभा में इन विधायकों के इस्तीफे से पहले सरकार के पास 118 विधायक थे। इनमें 79 कांग्रेस के, 37 जेडीएस के और दो निर्दलीय थे। ये संख्या बहुमत के 113 के आंकड़े से पांच अधिक थी। 
अब 16 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। अब कांग्रेस-जेडीएस और निर्दलीय विधायकों की संख्या 102 रह गई है। भाजपा के 105 विधायक हैं। माना जा रहा है कि भाजपा के पास दो निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन भी है। जिससे उसकी संख्या 107 हो जाएगी। हालांकि विधायकों के इस्तीफे अभी स्वीकार नहीं किए गए हैं। लेकिन अब विधानसभा में विश्वास मत होगा। जिसमें बागी विधायकों का कर्नाटक सरकार को समर्थन ना देने पर सरकार गिर जाएगी।

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