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शनिवार, 20 जुलाई 2019

राहुल गांधी के खास रणनीतिकारों में से एक थीं शीला, उनकी बात को कभी नहीं नकारा

राहुल गांधी के खास रणनीतिकारों में से एक थीं शीला, उनकी बात को कभी नहीं नकारा


शीला दीक्षित (फाइल फोटो)
शीला दीक्षित (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
दिल्ली की 15 साल तक मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित, कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के खास रणनीतिकारों में से एक रही थीं। प्रोटोकॉल के हिसाब से भले ही पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का पद ऊपर रहा हो, मगर उन्होंने शीला द्वारा कही गई किसी बात को नहीं नकारा। बैठक, वो भले ही बंद कमरे में हो या सार्वजनिक पटल पर, राहुल ने शीला दीक्षित को सर्वाधिक सम्मान दिया। पार्टी की राय चाहे कुछ भी रही, लेकिन राहुल गांधी ने अपने विशेषाधिकार के तहत शीला की बात को तव्वजो दी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेता अरविंद केजरीवाल के साथ हाथ मिलाना चाहते थे, लेकिन शीला दीक्षित शुरू से ही यह कहती रही कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस को अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए। राहुल गांधी ने इस मामले में केवल शीला दीक्षित की बात मानते हुए आम आदमी पार्टी के साथ समझौता करने से इंकार कर दिया।

लोकसभा चुनाव से पहले तालकटोरा स्टेडियम, इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम, 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय या किसी दूसरे स्थान पर जितनी भी सभाएं या बैठके हुई, सभी में राहुल गांधी ने शीला को सर्वाधिक सम्मान दिया। तालकटोरा स्टेडियम में जब 21 दलों का सम्मेलन हो रहा था तो उसमें राहुल गांधी ने अपनी बात रखी। उन्होंने अपने भाषण के शुरू में ही कहा, देखिये हमारे सामने कांग्रेस पार्टी की अनुभवी और वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित बैठी हैं। इसी तरह उन्होंने कांग्रेस पार्टी के महिला सम्मेलन में कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा, आप शीला जी से सीखिये। इन्होंने जो काम किया है, उसे करीब से समझें। 

लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ समझौते को लेकर कांग्रेस पार्टी दो हिस्सों में बंट गई थी। शीला दीक्षित एकमात्र ऐसी नेता थी, जिन्होंने शुरू से ही अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया था कि वे अरविंद केजरीवाल से समझौता नहीं करेंगी। बाद में वही हुआ। अजय माकन और कांग्रेस के कई दूसरे नेता यह दबाव डालते रहे कि समझौता पार्टी के हित में रहेगा। राहुल गांधी ने किसी की भी नहीं सुनी और आखिर में शीला के 'एकला चलो' की नीति पर अपनी मुहर लगा दी। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद जब एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी को विधानसभा चुनाव के लिए खड़ी करने की मुहिम शुरू हुई तो प्रदेश प्रभारी पीसी चाको और शीला में किसी बात को लेकर ठन गई। पीसी चाको ने सार्वजनिक तौर पर कह दिया, आपकी तबियत खराब हैं आराम कीजिए।

मंगलवार को प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने शीला से बिना चर्चा किए तीनों कार्यकारी अध्यक्षों के अधिकारों में इजाफा किया तो शीला दीक्षित को यह बात पसंद नहीं आई। उन्होंने चाको समर्थक कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ और देवेंद्र यादव के अधिकारों में कटौती कर दी। इस घटनाक्रम के बावजूद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने शीला के खिलाफ एक शब्द तक नहीं बोला।

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