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सोमवार, 26 अगस्त 2019

सुपरटेक के चेयरमैन पर 44 लाख की धोखाधड़ी का केस, फर्जी तरीके से फ्लैट बेचने का आरोप

सुपरटेक के चेयरमैन पर 44 लाख की धोखाधड़ी का केस, फर्जी तरीके से फ्लैट बेचने का आरोप

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर : bharat rajneeti
ग्रेटर नोएडा में जार सुइट्स के नाम पर अनधिकृत निर्माण कर फ्लैट बेचने के मामले में सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि पीड़ित से फ्लैट के नाम पर 44 लाख रुपये ठग लिए गए। जब कब्जे का वक्त आया तो फ्लैट को सील कर दिया गया। इसके बाद न तो अब तक फ्लैट मिला, न ही पैसे वापस किए गए हैं।
एसएसपी के आदेश पर कोतवाली सेक्टर-58 में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पुलिस के अनुसार, सेक्टर-82, केंद्रीय विहार निवासी आरके द्विवेदी ने 9 मार्च 2013 को सुपरटेक बिल्डर के प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराया था। ग्रेटर नोएडा के ओमीक्रॉन के टावर निकोलस-3 में 1008 नंबर का फ्लैट बुक किया गया। 

1405 स्क्वायर फीट के इस फ्लैट की कीमत 38.10 लाख रुपये थी। इसके बाद बिल्डर बायर्स एग्रीमेंट के तहत अप्रैल 2015 तक फ्लैट का कब्जा मिलना था। बाद में आरके द्विवेदी से बिल्डर की तरफ से कब्जा पेमेंट डिमांड नोटिस देकर 7.23 लाख रुपये और ले लिए गए। 

अब तक फ्लैट के लिए  44 लाख रुपये बिल्डर को दिए जा चुके हैं। इसके बाद सुपरटेक ने उन्हें नो ड्यूज सर्टिफिकेट भी दिया, लेकिन फ्लैट नहीं मिला। दरअसल, सुपरटेक ने इस प्रोजेक्ट में अनधिकृत निर्माण किया था। 

उसे यहां 844 फ्लैट बनाने की अनुमति थी, लेकिन 1904 फ्लैट बना डाले। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर अनधिकृत निर्माण पर रोक लगा दी गई। इसमें आरके द्विवेदी के नाम का भी फ्लैट है। पीड़ित का आरोप है कि सुपरटेक की तरफ से सुनियोजित साजिश की गई है और खरीदार की गाढ़ी कमाई को हड़प लिया गया।

जानबूझकर की गई ठगी
पीड़ित का आरोप है कि इससे पहले  सुपरटेक बिल्डर के एमेरॉल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में भी बायर्स से करोड़ों की ठगी की है। एमेरॉल्ड कोर्ट का मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने 14 फीसदी ब्याज के साथ खरीदारों को पैसे लौटाने के निर्देश दिए गए थे। इन खरीदारों के पैसे वापस करने के लिए सुपरटेक ने जार सुइट्स प्रोजेक्ट में जानबूझकर अवैध निर्माण किया और करोड़ों रुपये की उगाही की।

बिल्डर की तुलना आतंकी संगठनों से की
पीड़ित ने बिल्डर की तुलना आतंकी संगठनों से की है। पीड़ित का कहना है कि आतंकी मारकाट कर पैसे की कमाई करते हैं और बिल्डर बगैर खून बहाए पैसे की कमाई को हड़प लेते हैं। बिल्डर भी आम लोगों की जिंदगी भर की कमाई को पल भर में खत्म कर दे रहा है जिससे लोग दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं।
 

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