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गुरुवार, 29 अगस्त 2019

अनुच्छेद 370 हटाने पर बोले मुस्लिम संगठन- जबरदस्ती नहीं खरीदी जा सकती वफादारी

अनुच्छेद 370 हटाने पर बोले मुस्लिम संगठन- जबरदस्ती नहीं खरीदी जा सकती वफादारी

Muslim organisations on scrapping article 370 said you can not buy loyalty forcefully
- फोटो : bharat rajneeti
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के तरीके पर देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने सवाल उठाते हुए बुधवार को कहा, 'संवैधानिक उद्देश्यों को नजरअंदाज करके न तो सुख शांति स्थापित की जा सकती है और न ही जबरदस्ती वफादारी खरीदी जा सकती है।' जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दिल्ली स्थित कार्यालय में जमात इस्लामी हिंद, जमीयत अहले हदीस हिंद, ऑल इंडिया जकात फाउंडेशन, जमाते अहले सुन्नत कर्नाटक, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत अन्य संगठनों के सदस्यों की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफर उल इस्लाम खान ने भी हिस्सा लिया था।

बैठक के बाद, संयुक्त बयान जारी करते हुए मुस्लिम संगठनों ने कहा कि हमें कश्मीरी जनता के मूलभूत अधिकारों का समर्थन करना चाहिए और वहां शांति व्यवस्था की स्थापना और सामान्य जनजीवन की बहाली पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहिए। बयान में केंद्र सरकार से कश्मीर में कर्फ्यू की समाप्ति, संचार व्यवस्था पर प्रतिबंध को हटाने, स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने और शैक्षिक संस्थानों को तुरंत खुलने की मांग की गई है।

संयुक्त बयान में कहा गया है, 'अनुच्छेद 370 को जम्मू- कश्मीर में संवैधानिक तरीके से लागू किया गया था और उसे संवैधानिक तरीके से ही हटाया जा सकता है। फिलहाल जो तरीका अपनाया गया उस पर अहम सवाल उठाए गए हैं और विरोध भी प्रकट किया गया है। मामला इस समय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। हमें शीर्ष अदालत पर विश्वास करना चाहिए और उसके निर्णय के अनुसार कदम उठाने चाहिए।'

बयान में कहा गया है, 'देश की एकता और अखंडता प्रत्येक नागरिक का प्रथम कर्तव्य है। किसी भी सूरत में इससे समझौता नहीं किया जा सकता। संविधान में समानता, सबके साथ न्याय और मानव अधिकारों का उद्देश्य भी देश की एकता अखंडता की सुरक्षा है। संवैधानिक उद्देश्यों को नजरअंदाज करके हम देश में न तो सुख शांति स्थापित कर सकते हैं और न ही जबरदस्ती वफादारी खरीद सकते हैं।' 

बयान में नौजवानों से अपील की गई है कि वे विरोधी शक्तियों, शत्रुओं और गैर जिम्मेदार मीडिया के बहकावे में आकर सोशल मीडिया पर आधारहीन समाचारों और अफवाहों को प्रकाशित करने से बचें। इस बैठक में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी, जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख (अमीर) साआदतुल्लाह हुसैनी, जमीयत अहले हदीस हिंद के प्रमुख (अमीर) मौलाना असगर अली इमाम महदी सल्फी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड के सदस्य कमाल फारूकी समेत अन्य ने हिस्सा लिया।

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