सीएपीएफ अधिकारियों ने शाह को लिखा पत्र, कहा आईपीएस अधिकारी कर रहे भेदभाव
गृहमंत्री अमित शाह - फोटो : bharat rajneeti
सीएपीएफ के कई अधिकारियों ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है और अपने सेवा लाभों को प्राप्त करने में आईपीएस अधिकारियों द्वारा किेए जाने वाले कथित भेदभाव को खत्म करने के लिए उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की है। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के अधिकारियों ने एक सोशल मीडिया अभियान शुरू कर कहा है कि उच्चतम न्यायालय के एक हालिया आदेश और केंद्रीय कैबिनेट से इसे मंजूरी मिलने के बावजूद उनका मुख्यालय उन्हें संगठित सेवा लाभ प्रदान करने की प्रक्रिया में बाधा डाल रहा है। साथ ही, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों की संख्या घटा कर निगरानी स्तर पर अधिक पदों को आवंटित करने में भी अवरोध पैदा किया जा रहा है।
शाह को भेजे ऐसे कई आधिकारिक पत्र पीटीआई ने हासिल किए हैं। इनमें सीएपीएफ अधिकारियों ने वांछित कार्रवाई के लिए उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि उनके भर्ती नियम में संशोधन हो और एक संगठित केंद्रीय सेवा के लिए वैधता की तर्ज पर एक नई कैडर की समीक्षा हो। नये भर्ती नियमों को बनाए जाने से इन अधिकारियों को निगरानी रैंक में अधिक पद प्राप्त होंगे, जिसे अभी मुख्य रूप से आईपीएस अधिकारी देखते हैं।
सीआरपीएफ कैडर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, अधिकारियों ने मंत्री से अनुरोध किया है कि हाल ही में घोषित उनके वाजिब सेवा लाभ उसी तरह से सुनिश्चित किया जाए, जिस तरह से अनुच्छेद 370 पर एक साहसिक फैसले की घोषणा का क्रियान्वयन किया गया।
उन्होंने कहा कि अधिकारी शाह को सीधे पत्र लिख रहे हैं क्योंकि केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बावजूद इन बलों के मुख्यालय उन्हें पूर्ण लाभ प्रदान करने वाली कार्यवाही को या तो धीमी गति से कर रहे हैं या उन्हें पूरा करने को अनिच्छुक हैं। दरअसल, यह प्रतिनियुक्ति पर इन बलों में शामिल होने वाले आईपीएस अधिकारियों की करियर संभावनाओं को प्रभावित करेगा।
वहीं, सीएपीएफ में कैडर अधिकारियों के लिए इन कार्यवाहियों को देख रहे एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने उनकी दलीलों का खंडन करते हुए कहा कि भर्ती नियमों की समीक्षा फौरन नहीं की जा सकती क्योंकि कुछ स्पष्टीकरण अपीलें उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।