हालांकि, पाकिस्तान के भीतर ही कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाने के कदम को लेकर राय बंटी हुई है. पाकिस्तान के एक विधि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35-ए को रद्द किए जाने के कानूनी नतीजों के बारे में आईसीजे से सलाह लेने को लेकर विचार किया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मामलों के जानकार तैमूर मलिक ने कहा कि इस तरह की सलाह बाध्यकारी नहीं होती लेकिन इससे मुद्दे का 'अंतर्राष्ट्रीयकरण' करने में मदद मिलेगी.
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने भी अपनी रिपोर्ट में आईसीजे के प्रावधानों के हवाले से यह भी कहा है कि कश्मीर मामले भारत को कठघरे में खड़ा कर पाना पाकिस्तान के लिए लगभग नामुमकिन होगा.
हालांकि, पाकिस्तान के भीतर ही कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाने के कदम को लेकर राय बंटी हुई है. पाकिस्तान के एक विधि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35-ए को रद्द किए जाने के कानूनी नतीजों के बारे में आईसीजे से सलाह लेने को लेकर विचार किया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मामलों के जानकार तैमूर मलिक ने कहा कि इस तरह की सलाह बाध्यकारी नहीं होती लेकिन इससे मुद्दे का 'अंतर्राष्ट्रीयक
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने भी अपनी रिपोर्ट में आईसीजे के प्रावधानों के हवाले से यह भी कहा है कि कश्मीर मामले भारत को कठघरे में खड़ा कर पाना पाकिस्तान के लिए लगभग नामुमकिन होगा
अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने धमकी देते हुए कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे को हर मंच से उठाएंगे. भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने भी कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में चुनौती देने का सुझाव दिया था. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को अपने इस प्रयास में बुरी तरह असफल साबित हो चुका है. चीन के दखल के बावजूद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में केवल बंद कमरे में ही चर्चा हो सकी जो बेनतीजा ही रही. अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ चुके पाकिस्तान ने अब अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाने की बात कही है. आइए जानते हैं पाकिस्तान के इस कदम का भारत पर क्या और कैसा असर पड़ने वाला है