
देश के किसी भी राज्य में ऐसा पहली बार हुआ है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाइ.एस. जगनमोहन रेड्डी ने फरमान सुनाया है कि राज्य की 75 फीसद नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होनी चाहिए. राज्य विधानसभा ने 24 जुलाई को आंध्र प्रदेश के उद्योगों और फैक्टरियों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए रोजगार विधेयक, 2019 पारित कर दिया. यह विधेयक राज्य के तमाम सार्वजनिक-निजी उद्योगों, फैक्टरियों, संयुक्त उद्यमों और परियोजनाओं पर अनिवार्य रूप से लागू होगा. राज्य के एक अफसर ने बताया कि मौजूदा कंपनियों के पास इस फैसले को लागू करने के लिए तीन साल का वक्त है; जबकि फैक्टरी कानून की पहली अनुसूची में दर्ज कंपनियों—उर्वरक, कोयला, फार्मास्युटिकल, पेट्रोलियम और सीमेंट सरीखे जोखिम वाले उद्योगों सहित—को छूट मिलने की संभावना है.
इस फैसले से मुख्यमंत्री ने चुनाव से पहले किया अपना वादा पूरा कर दिया है. उन्होंने युवाओं के लिए रोजगार के मौके बढ़ाने का वादा किया था. मगर नए कानून ने उद्योगों के रहनुमाओं के बीच विवाद छेड़ दिया है. उनका आरोप है कि इससे वृद्धि की संभावनाओं को झटका लगेगा. वे कहते हैं कि इस लोकलुभावन फैसले से निवेशकों का उत्साह मंद पड़ेगा, जो नकदी का संकट झेल रहे राज्य में उद्यम शुरू करने को लेकर पहले से ही एहतियात बरत रहे हैं. वे दलील देते हैं कि कोई भी उद्यम होनहार युवाओं के बगैर फल-फूल नहीं सकता और उद्योगों में स्थानीय लोगों की भरमार खुदकुशी करने के बराबर होगी.
हालांकि जगन ने इन आलोचनाओं को झूठा दुष्प्रचार भर कहकर खारिज कर दिया है लेकिन इस फैसले का स्वागत करने वाले भी चिंतित हैं. फेडरेशन ऑफ आंध्र प्रदेश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट जी. संबाशिव राव कहते हैं, ''कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं जिनके लिए स्थानीय (काबिल) लोगों को खोज पाना तक मुश्किल होगा.'' वहीं, कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री की विशाखापट्टनम शाखा के चेयरमैन के.वी.वी. राजू कहते हैं, ''अगर कुशल मानव संसाधन मौजूद है तो उद्योग बेशक स्थानीय युवाओं को लेने को तरजीह देंगे लेकिन आइटी सरीखे क्षेत्रों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन सरीखी उभरती टेक्नोलॉजी में (काबिल) स्थानीय लोगों का नहीं मिलना चुनौती होगी.''
दूसरों ने आगाह किया है कि आंध्र प्रदेश में अभी जब निवेश की बेहद जरूरत है तब इस किस्म की शर्तें थोपना जोखिम भरा कदम हो सकता है. सरकार के इस फैसले से हालात और बिगड़ सकते हैं, खासकर अगर दूसरे राज्य भी यही रास्ता अपनाते हैं. महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में भी ऐसे कानून की मांग पहले ही उठने लगी है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 9 जुलाई को कहा कि वे 70 फीसद नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने का कानून लाएंगे. ऐसे कानूनों से स्थानीय लोगों की भर्ती को बढ़ावा तो मिलता है, पर राज्य सरकारों को स्थानीय युवाओं को रोजगार के लायक बनाने के लिए हुनरमंद बनाने पर जोर देना होगा.
जगन कहते हैं कि वे इस पर काम कर रहे हैं. राज्य सरकार कौशल विकास में निवेश करेगी और नौजवानों को जरूरी हुनर या कौशल का प्रशिक्षण देने के लिए उद्योगों के साथ मिलकर काम करेगी. इस मकसद से हरेक संसदीय क्षेत्र के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में कौशल विकास केंद्र खोले जाएंगे, जो जरूरी कौशल का प्रशिक्षण और तालीम देंगे.
हालांकि संभावित निवेशक इस योजना से प्रभावित नहीं हैं. स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों का यह कदम ऐसे वक्त आया है जब पिछली टीडीपी सरकार के मातहत मंजूर ठेकों की समीक्षा करने के जगन के फैसले ने अनिश्तिचता बढ़ा दी है. राज्य के दक्षिण हिस्सों में स्थापित कुछ उद्योग पहले ही तमिलनाडु जाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं. निवेश और विकास के अवसरों के लिए पहले ही बुरी तरह हाथ-पैर मार रहे आंध्र प्रदेश को इस फैसले के चलते पाने से ज्यादा खोना पड़ सकता है.
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