जम्मू-कश्मीर में व्यभिचार को अपराध बताने वाला कानून असांविधानिक : सुप्रीम कोर्ट

खास बातें
शीर्ष अदालत ने आरपीसी के प्रावधान को निरस्त करने का आदेश पिछले साल 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की ही 5 सदस्यीय संविधान पीठ की तरफ से सुनाए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए दिया। संविधान पीठ ने अपने फैसले में आईपीसी की ब्रिटिश कालीन धारा-497 को खारिज कर दिया था, जिसके तहत परस्त्रीगमन (व्यभिचार) को अपराध की श्रेणी में माना जाता था।
जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने 2 अगस्त को सुनाए अपने फैसले में कहा, आरपीसी की धारा 497 को पूरी तरह से असांविधानिक घोषित किया जाता है। यह धारा भारतीय संविधान के खंड-3 का उल्लंघन करती है। इसी के साथ पीठ ने एक सेवारत सैन्य अधिकारी के खिलाफ व्यभिचारी संबंध रखने के आरोप में चल रही आपराधिक कार्रवाई को भी खारिज कर दिया।