अमीरों पर सरचार्ज लगाने का फैसला टाल सकती है सरकार

खास बातें
- सरकार को होगा 400 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान, लेकिन वापस लौट सकते हैं विदेशी निवेश
- अधिसूचना या अध्यादेश के माध्यम से उपकर लगाने का फैसला वापस ले सकती है सरकार
- बजट के बाद से दबाव में है शेयर बाजार, 20 हजार करोड़ की बिकवाली कर चुके हैं एफपीआई
सरकार विदेशी निवेशकों यानी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर उपकर लगाने का फैसले को पलटने पर विचार कर रही है। हालांकि केंद्र सरकार ने भारत के अमीरों पर यह उपकर बनाए रखने का फैसला किया है। गौरतलब है कि सरकार ने आम बजट 2019-20 में अमीरों की सालाना आय पर उपकर लगाने का फैसला किया है, जिसके दायरे में एफपीआई भी आते हैं।
खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय में वित्त मंत्रालय की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है। सूत्रों ने कहा, ‘एफपीआई से उपकर हटाए जाने से सरकार को लगभग 400 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।’ सूत्रों के मुताबिक, ‘सरकार अधिसूचना या अध्यादेश के माध्यम से एफपीआई पर उपकर लगाने का फैसला वापस ले सकती है।’ हालांकि अगर सरकार अध्यादेश का रास्ता चुनती है तो उसे अगले संसद सत्र में इसके लिए मंजूरी लेनी होगी।
दरअसल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट में अमीरों पर उपकर लगाने के ऐलान के बाद से विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे थे। बीती एक जुलाई से अब तक एफपीआई पूंजी बाजार में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली कर चुके हैं।
बजट से अब तक 12.53 लाख करोड़ का नुकसान
शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों की बिकवाली भारी पड़ी है, जिसके चलते बजट के बाद से 7 अगस्त तक सेंसेक्स लगभग 8 फीसदी टूट चुका है। आम बजट 2019-20 से एक दिन पहले यानी 4 जुलाई को सेंसेक्स 39908 पर बंद हुआ, जो अभी तक (7 अगस्त) तक गिरकर 36690 पर आ गया था।
बाजार में आई इस गिरावट से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण लगभग 12.53 लाख करोड़ रुपये घटकर 138.82 लाख करोड़ रुपये रह गया, जबकि बजट के दिन यह 151.35 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर था।