वर्षों की मेहनत के बाद देश को आखिरकार नया मोटर वाहन कानून मिल गया है। इसके पीछे सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों की ही नहीं, बल्कि राज्यों के परिवहन मंत्रियों और विश्व बैंक की टीम की भी मेहनत शामिल है। दुनियाभर के कुछ बेहतरीन मोटर वाहन कानूनों का अध्ययन कर भारत के कानून के मसौदे को बनाया गया। इसे बनाने में क्या अड़चनें आईं और इससे क्या बदलाव होगा... इस पर अमर उजाला ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से बातचीत की। पेश है बातचीत के अंश :
प्रश्न- मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2019 अब कानून बन गया है। इसे संसद से पारित करवाने की राह में क्या अड़चनें आईं?उत्तर- अड़चनें तो काफी आईं... तभी तो हमारे पिछले कार्यकाल में यह लोकसभा से पारित होकर भी राज्यसभा में अटक गया था। इस राह में जो विशेष अड़चनें आईं, उनमें राज्यों से आईं अड़चनों का जिक्र करना चाहूंगा। संविधान में सड़क परिवहन को समवर्ती सूची में रखा गया है, जबकि यात्रियों का परिवहन राज्य सूची में है। हम जब इसका मसौदा बना रहे थे, तब राज्यों को लगता था कि उनके अधिकार छिन जाएंगे। इसलिए हमने राज्यों के परिवहन मंत्रियों की एक समिति बनाई, जिसके अध्यक्ष राजस्थान के तत्कालीन परिवहन मंत्री यूनुस खान थे।
इस समिति ने कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, अर्जेंटीना और सिंगापुर जैसे देशों के मोटर वाहन कानून का अध्ययन किया। इसके बाद ही टीम ने विधेयक बनाया, जिसमें बाद में भी काफी सुधार हुए। पिछली सरकार में यह विधेयक संसद में पेश होने के बाद यह स्थायी समिति में गया, फिर संयुक्त प्रवर समिति के पास गया। वहां से लौटने के बाद यह लोकसभा से तो पारित हो गया, लेकिन राज्यसभा से अटक गया। दूसरी बार जब हमारी सरकार बनी, तब जाकर इसे पारित करवाया जा सका।
प्रश्न- इतनी तरक्की के बावजूद दुनियाभर के देशों में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं। क्या इसे कम नहीं किया जा सकता?उत्तर- आप बिल्कुल सही कह रहे हैं... मैं अपनी विफलता स्वीकारता हूं कि पांच साल में हम इस दिशा में उल्लेखनीय काम नहीं कर सके। हमारें यहां सड़क दुर्घटनाओं में हर साल करीब डेढ़ लाख लोगों की जान चली जाती है। इसमें भी हताहत होने वाले लोगों की उम्र 18 से 35 साल के बीच है, जो उत्पादक उम्र है। इसका नुकसान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर भी पड़ता है। कहा जाता है कि सिर्फ सड़क दुर्घटना में हताहत लोगों से जीडीपी को दो फीसदी का नुकसान होता है। मेरा मानना है कि हताहतों की संख्या में 50 फीसदी की तो कमी आनी ही चाहिए।
प्रश्न- सड़क दुर्घटनाएं सिर्फ चालक की गलती से होती हैं? उत्तर- नहीं... ऐसा नहीं है। चालकों की गलती से भी दुर्घटनाएं होती हैं, लेकिन सभी दुर्घटनाओं के लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं। हमने 786 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए हैं, जहां इंजीनियरिंग खामियों की वजह से दुर्घटनाएं हो रही हैं। इन खामियों को दूर करने के लिए 12,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अभी 14,000 करोड़ रुपये की एक और योजना पर अमल किया जाना है। इसमें 7,000 करोड़ रुपये एशियाई विकास बैंक से और 7,000 करोड़ रुपये विश्व बैंक से मिलेंगे।
"नए वाहन में क्या दिक्कत है, जिसकी जांच आरटीओ करेगा"
नितिन गडकरी (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
प्रश्न- राज्यों को क्यों लगता था कि नए मोटर वाहन कानून से उनका अधिकार छिन जाएगा?
उत्तर- पहले के कानून में ऐसा प्रावधान था कि नए वाहन की जांच आरटीओ करेगा, जिसके बाद ही वह ग्राहक को मिलेगा। इस प्रक्रिया के बाद ही उस वाहन का पंजीकरण होगा। हालांकि, वास्तव में ऐसा नहीं होता था, लेकिन प्रावधान की वजह से इसके जरिए भ्रष्टाचार होता था। अब आप बताइए कि नए वाहन में क्या दिक्कत है, जिसकी जांच आरटीओ करेगा। नए कानून में हमने इसे बदला और आरटीओ को सीधे ऑनलाइन पंजीकरण करने के लिए कहा। इससे सबको सुविधा होगी।
हमें राष्ट्रीय परिवहन नीति बनानी है। देश को तेजी से प्रगति करना है तो मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब तैयार करना होगा। वहां रेल, रोड, जल मार्ग, हवाई मार्ग, सभी तरह के परिवहन की सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसके लिए कानून का कवच होना जरूरी है। मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब विकसित करने के लिए एक नीति जरूरी है, जिसका मार्ग अब प्रशस्त हो गया है।
प्रश्न- राज्यों को क्यों लगता था कि नए मोटर वाहन कानून से उनका अधिकार छिन जाएगा?
उत्तर- पहले के कानून में ऐसा प्रावधान था कि नए वाहन की जांच आरटीओ करेगा, जिसके बाद ही वह ग्राहक को मिलेगा। इस प्रक्रिया के बाद ही उस वाहन का पंजीकरण होगा। हालांकि, वास्तव में ऐसा नहीं होता था, लेकिन प्रावधान की वजह से इसके जरिए भ्रष्टाचार होता था। अब आप बताइए कि नए वाहन में क्या दिक्कत है, जिसकी जांच आरटीओ करेगा। नए कानून में हमने इसे बदला और आरटीओ को सीधे ऑनलाइन पंजीकरण करने के लिए कहा। इससे सबको सुविधा होगी। हमें राष्ट्रीय परिवहन नीति बनानी है। देश को तेजी से प्रगति करना है तो मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब तैयार करना होगा। वहां रेल, रोड, जल मार्ग, हवाई मार्ग, सभी तरह के परिवहन की सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसके लिए कानून का कवच होना जरूरी है। मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब विकसित करने के लिए एक नीति जरूरी है, जिसका मार्ग अब प्रशस्त हो गया है।
प्रश्न- नए मोटर वाहन कानून में जुर्माने में भारी बढ़ोतरी की गई है। इससे ट्रैफिक पुलिस की मनमानी नहीं बढ़ जाएगी?
उत्तर- जुर्माने की राशि में बढ़ोतरी जरूरी थी। इससे पहले 1986 में जुर्माने की राशि तय की गई थी। उसमें भारी गलती के लिए भी 50 रुपये और 100 रुपये जैसे जर्माने का प्रावधान था, जो आज की तारीख में नाकाफी है। लोग समझते हैं कि पैसे दो और गलती करो। नए कानून में जुर्माने की राशि बढ़ाने का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि लोग सड़क पर गलतियां करने से बचें।
उदाहरण के लिए... शराब पीकर वाहन चलाने से काफी दुर्घटनाएं होती हैं और इसमें हजारों लोगों की जान जाती है। इसलिए इस गलती के लिए जुर्माना राशि को 2,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया है। इसी तरह गलत (रॉन्ग) साइड से वाहन चलाने का जुर्माना भी 5,000 रुपये किया गया है। दरअसल, गलत साइड से वाहन चलाना दुर्घटना को आमंत्रित करना है। ट्रैफिक पुलिस मनमानी नहीं करे, इसके लिए इंटेलीजेंस ट्रैफिक सिस्टम ला रहे हैं।
प्रश्न- इंटेलीजेंस ट्रैफिक सिस्टम से पुलिसकर्मियों पर कैसे लगाम लगेगी?
उत्तर- इंटेलीजेंस ट्रैफिक सिस्टम में सब काम तकनीक के जरिए होते हैं। इसमें सभी चौराहों पर कैमरे की व्यवस्था होती है। आपने जैसे ही लालबत्ती पार की, आपका फोटो खिंच जाएगा और सिस्टम अपने आप चलान आपके घर पर भेज देगा। ओवरस्पीडिंग के मामले में भी यही व्यवस्था होगी। यह सिस्टम दिल्ली में लागू हो गया है। मुझे तो एक मुख्यमंत्री ने उनका चालान घर पर आने की बात बताई। दरअसल, मुख्यमंत्रियों को तो विशेष अधिकार मिला है कि वह लालबत्ती पर नहीं रुके। कैमरे ने अपना काम किया और मुख्यमंत्री का भी चालान काट दिया।