सार्थक बदलाव से कश्मीरियों का दिल जीतेगी सरकार, सूबे के लिए चुनाव से पहले का रोडमैप तैयार
गृहमंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल - फोटो :bharat rajneeti
खास बातें
- गृह मंत्री सहित कई वरिष्ठ मंत्री कश्मीर घाटी के लोगों से सीधा संवाद का सिलसिला शुरू करेंगे
- केंद्र सरकार का निर्णय राज्य के लोगों की बेहतरी के लिए लिया गया है
- फिलहाल इस मोर्चे पर अकेले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ही शिरकत कर रहे हैं
केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव नहीं होंगे। चुनाव से पहले सरकार की योजना सार्थक बदलाव के जरिए कश्मीरियों का दिल जीतने की है। इस योजना के तहत सरकार सूबे की पंचायतों को अत्यधिक अधिकार दे कर ताकतवर बनाने के साथ रोजगार और विकास के लिए युद्घस्तर पर प्रयास करेगी। फिर पीएम, गृह मंत्री सहित कई वरिष्ठ मंत्री कश्मीर घाटी के लोगों से सीधा संवाद का सिलसिला शुरू करेंगे।
दरअसल सरकार मानती है कि अनुच्छेद 370 सहित कई परिवर्तन के बाद पहली चुनौती वहां के लोगों को सार्थक और सकारात्मक बदलाव के जरिये बेहतरी का अहसास कराना है। इस वर्ष में फिलहाल राज्य में जल्द विधानसभा चुनाव की संभावना नहीं है। सरकार की योजना चुनाव से पहले पंचायतों केअधिक से अधिक अधिकार देने के साथ विकास कार्य में उसकी सहभागिता बढ़ाने की है।
पंचायतों के जरिए राज्य के लोगों की बुनियादी समस्या खत्म करने की है। इस कड़ी में उज्जवला, आयुष्यमान, हर घर बिजली-पानी जैसी योजना को पंचायत के माध्यम से परवान चढ़ाने की है। इसके अलावा पंचायतों को सीधे भेजी जाने वाली राशि में भी भारी बढ़ोत्तरी होगी। इसी कड़ी में सरकार की योजना राज्य में व्यापक स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाने की है।
इसके तहत सरकारी पीएसयू, सेना और अर्द्घसैनिक बदलों में घाटी के लोगों केा प्राथमिकता के आधार पर नौकरी दी जाएगी। इसी दौरान सूबे के दशकों से लंबित सभी महत्वाकांक्षी योजनाओं को जमीन पर उतारा जाएगा। सरकार इसके जरिए संदेश देगी कि केंद्र सरकार का निर्णय राज्य के लोगों की बेहतरी के लिए लिया गया है।
शुरू होगा सीधा संवाद का सिलसिला
कुछ दिनों बाद स्थिरता आने पर बड़े स्तर पर घाटी के लोगों से विभिन्न मंचों से सीधा संवाद का सिलसिला शुरू होगा। अगर सबकुछ ठीक रहा तो इस प्रक्त्रिस्या में खुद पीएम, गृह मंत्री सहित कई वरिष्ठ मंत्री शिरकत करेंगे। फिलहाल इस मोर्चे पर अकेले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ही शिरकत कर रहे हैं।
पाक के अलग-थलग पडऩे से राहत
इस मोर्चे पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के अलग-थलग पडऩे से सरकार ने राहत की सांस ली है। दरअसल जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में लिये जाने वाले फैसले के संदर्भ में भारत ने बहुत पहले ही कूटनीतिक तैयारी शुरू कर दी थी। अमेरिका-रूस जैसे कई देशों को इस फैसले की जानकारी थी।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि आतंकवाद फैलाने केकारण पहले से बदनाम पाकिस्तान को या तो नसीहत मिली या भारत से बेहतर संबंध न रखने वाले देश भी खुल कर उसके साथ नहीं आए।
अमेरिका-रूस जैसे देशों ने पहले ही पाकिस्तान से मुंह मोड़ लिया है। जबकि संयुक्त राष्ट्र ने इस मामले में हस्तक्षेप से इंकार किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को तीन दिवसीय चीन यात्रा पर रवाना हुए हैं। उनकी कोशिश इस मुहिम में चीन को साधने की होगी।