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शनिवार, 24 अगस्त 2019

यूपी, बिहार और बंगाल सहित इन नौ राज्यों ने केंद्र को नहीं दिया लिंगानुपात का आंकड़ा

यूपी, बिहार और बंगाल सहित इन नौ राज्यों ने केंद्र को नहीं दिया लिंगानुपात का आंकड़ा

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : bharat rajneeti

खास बातें

  • साल 2017 के लिए नौ राज्यों ने जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) पर आंकड़े प्रदान नहीं किए हैं।
  • इसके पीछे की वजह बताई गई है कि या तो जन्मों के पंजीकरण में देरी हुई है या फिर अभिलेखों का अपर्याप्त डिजिटलीकरण हुआ है।
  • जिन नौ राज्यों ने केंद्र को लिंगानुपात के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए हैं, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, सिक्किम और पश्चिम बंगाल हैं।
साल 2017 के लिए नौ राज्यों ने जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) आंकड़े केंद्र को प्रदान नहीं किए हैं। इसके पीछे की वजह बताई गई है कि या तो जन्मों के पंजीकरण में देरी हुई है या फिर अभिलेखों का अपर्याप्त डिजिटलीकरण हुआ है। जिन नौ राज्यों ने केंद्र को लिंगानुपात के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए हैं, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, सिक्किम और पश्चिम बंगाल हैं। 
एक सरकारी अधिकारी का कहना है, "राज्यों ने आंकड़े प्रदान ना करने के पीछे की वजह कंप्यूटरीकरण में कमी और शासनिक मुद्दों को बताया है। कुछ मामलों में हमें केवल आंशिक आंकड़े ही दिए गए हैं, जिनका हम इस्तेमाल नहीं करेंगे।"

भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त कार्यालय ने 2017 के लिए नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर आधारित अपनी महत्वपूर्ण सांख्यिकी रिपोर्ट में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिंगानुपात के आंकड़े एकत्रित किए हैं। 

जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) पुरुष और महिलाओं के बीच के अंतर को इंगित करता है। जिसकी गणना एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या के रूप में की जाती है। इन आंकड़ों का पता या तो सैंपल सर्वे से लगता है या फिर पंजीकृत प्रणाली में जन्म की एंट्री से लगता है। रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में अधिकतम एसआरबी अरुणाचल प्रदेश (1047) में था, इसके बाद छत्तीसगढ़ (968), केरल (965) और मिजोरम में (964) था।

सबसे कम एसआरबी दमन और दीव (879), पंजाब में (890), गुजरात में (898) और चंडीगढ़ में (907) दर्ज किया गया। अधिकारी का कहना है, "एसआरबी पंजीकृत जन्म पर आधारित होता है। इस पर अभी काम किया जा रहा है। कुछ राज्य लिंगानुपात की गणना में जन्म के पंजीकरण में काफी देरी पर विचार कर रहे थे, जिससे हमें अहसास हुआ कि ये ठीक संख्या नहीं दे रहा है, तो हम उसे ठीक करने पर काम कर रहे हैं।"

एसआरबी 2015 के 881 की तुलना में 2016 में 877 हो गया। 2016 में सबसे अधिक एसआरबी सिक्किम (999), फिर अंडमान और निकोबार दीव (987) और दमन और दियू (974) में दर्ज किया गया था।   

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