एक्सक्लूसिव: ग्राहक अब मालिक होंगे, लाचार नहीं, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 पर बोले केंद्रीय मंत्री
ram vilas paswan - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 के स्थान पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 को मंजूरी दी गई
- मंत्री बोले- हमें छह महीने का समय मिला है, लेकिन इसे तीन महीने में पूरा कर लिया जाएगा
- उपभोक्ता अदालतों में लाखों मामले लंबित हैं, खाली पदों को भर कर जल्द निबटाया जाएगा
विकसित देशों की तरह भारत के ग्राहकों के पास भी अधिकार हों, इसके लिए संसद ने इसी महीने उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 के स्थान पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 को मंजूरी दी थी। इसमें मिलावट और भ्रामक विज्ञापनों के लिए जेल भेजने सहित कठोर दंड का प्रावधान है। नया कानून कैसे ग्राहकों को अधिकार संपन्न बनाएगा, इस पर अमर उजाला के शिशिर चौरसिया ने
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान से बात की। पेश है बातचीत के अंश:
प्रश्न- ऐसा कहा जा रहा है कि अब ग्राहक बिना समान खरीदे भी शिकायत कर सकेंगे। ऐसा कैसे संभव होगा?उत्तर- देखिए, अभी तक क्या होता है कि किसी सामान की शिकायत करनी हो तो पहले उसे खरीदिए। नया कानून ग्राहकों को अधिकार देता है कि वह बिना खरीदे भी किसी सामान की शिकायत कर सकता है। अक्सर देखा गया है कि कंपनियां अपने उत्पाद के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर विज्ञापन करती हैं। आपको पता चल गया कि उसमें वैसी खूबी नहीं है तो बिना सामान खरीदे उसकी शिकायत सीसीपीए से करें। सीसीपीए में एक इंवेस्टिगेशन विंग होगी जो शिकायत की जांच करेगी। यदि शिकायत सही पाई गई तो उस कंपनी पर कार्रवाई होगी।
प्रश्न- यह कानून किस तरह से ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा करेगा?उत्तर- ग्राहकों के अधिकार के हित में कानून पर कुछ भी कहने से पहले मैं बताना चाहूंगा कि अभी देश में ग्राहकों के अधिकार के संरक्षण के लिए जो कानून लागू है, उसे 1986 में बनाया गया था। इसमें कई ऐसी चीजें शामिल ही नहीं हैं, जिससे अनैतिक व्यापार के मौजूदा तौर-तरीकों पर लगाम लगे। इसीलिए सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण विधेयक को संसद से पारित करवाया है। कानून को महामहिम राष्ट्रपति महोदय की मंजूरी मिल चुकी है और लागू करने में कोई अड़चन नहीं है। जहां तक उपभोक्ताओं के अधिकार की बात है तो वे अब बाजार में मालिक होंगे, लाचार नहीं।
प्रश्न- कब से लागू हो जाएगा नया कानून?उत्तर- अभी इसे लागू करने में कुछ महीने और लगेंगे। मंत्रालय को इस दिशा में काफी काम करना है। चूंकि उपभोक्ताओं के अधिकार से जुड़े सभी पहलुओं को कानून में शामिल नहीं किया जा सकता है। लिहाजा कानून के आधार पर नियम बनाये जाने हैं। हालांकि, संसद ने हमें नियम बनाने के लिए छह महीने का वक्त दिया है लेकिन हमारा मंत्रालय इस पर तेजी से काम कर रहा है। मैंने अपने अधिकारियों को महज तीन महीने में ही नियमों को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है। ऐसा होने पर इस साल के खत्म होने से पहले ही इसे अधिसूचित कर दिया जाएगा।
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प्रश्न- नए कानून के तहत ग्राहक प्राधिकरण बनाने की बात है, यह कैसे काम करेगा?
उत्तर- आपने सही कहा, इसमें एक सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) के गठन का प्रावधान है। सीसीपीए को अधिकार होगा कि वह किसी मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करे। साथ ही जिला स्तर पर काम कर रहे उपभोक्ता फोरम का नाम बदलकर उपभोक्ता आयोग किया जाएगा। इसमें फोरम के मुकाबले ज्यादा सदस्य होंगे। इसके अधिकार भी व्यापक होंगे। अभी इस पर काम चल रहा है और विशेषज्ञ जो कुछ बताएंगे, उसे भी इसमें शामिल किया जाएगा। कुछ दिन इंतजार कीजिए, आपको सबकी जानकारी मिल जाएगी।
प्रश्न- उपभोक्ता फोरम में अभी न्याय पाना बड़ा जटिल काम है। क्या इसकी प्रक्रिया में कुछ सुधार होेगा?
उत्तर- बिल्कुल सुधार होगा। हमने पहला काम तो यह किया है कि उपभोक्ता आयोग में वकीलों का कोई काम नहीं है। ग्राहक खुद अपनी बात रखें, इससे उनका खर्चा बचेगा। पहले शिकायत करने केबाद पता ही नहीं चलता था कि उनकी शिकायत स्वीकार की गई है या नहीं। अब प्रावधान किया है कि शिकायत करने के 21 दिन के अंदर यदि ग्राहक को कोई जवाब नहीं मिलता है तो मान लिया जाएगा कि उनकी शिकायत स्वीकार कर ली गई है।
यही नहीं, पहले कंपनियां अनैतिक तरीके से कोर्ट से तारीख पर तारीख ले लेती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। ग्राहकों को 90 दिन में न्याय मिल जाएगा और पहले जहां से ग्राहक ने सामान खरीदा था, वहीं के उपभोक्ता फोरम में वाद दायर करना होता था। अब ग्राहक कहीं से भी सामान खरीदा हो, यदि उसमें खराबी है तो उसकी शिकायत घर या काम की जगह के आसपास कर सकता है।
प्रश्न- उपभोक्ता अदालतों का गठन इसलिए किया गया था कि उन्हें त्वरित न्याय मिले। लेकिन यहां भी देरी हो रही है। क्या इसके लिए कुछ नहीं हो सकता है?
उत्तर- बिल्कुल हो सकता है। हम ऐसा कर भी रहे हैं। इस समय उपभोक्ता अदालतों में लाखों मामले लंबित हैं। सिर्फ जिला स्तर पर देखें तो साढ़े तीन लाख से ज्यादा मामले लंबित पड़े हैं। राज्य स्तर पर 1.60 लाख जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 22 हजार मामले लंबित हैं। इसकी प्रमुख वजह पदों का खाली रहना है। इसे अब प्राथमिकता से भरा जा रहा है। साथ ही हम ज्यादा पद भी सृजित करेंगे।
प्रश्न- अक्सर देखा जाता है कि किसी वस्तु या सेवा का प्रचार सेलिब्रिटी करते हैं और सेलिब्रिटी के चक्कर में ग्राहक लुट जाते हैं। ऐसे में क्या होगा?
उत्तर- यदि ऐसी स्थिति आती है तो उस सेलिब्रिटी पर हम जुर्माना लगाएंगे। उन पर कुछ अवधि के लिए प्रचार करने पर भी प्रतिबंध लगाएंगे। अब यदि कोई सेलिब्रिटी ब्रांड का झूठा प्रचार करते तो उन पर 10 लाख रुपये तक जुर्माना और एक साल तक प्रचार करने पर रोक लग सकती है। कोर्ट के मार्फत तो उन पर प्रतिबंध की अवधि 10 साल तक बढ़ सकती है।