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शनिवार, 28 सितंबर 2019

बैंक खाते को आधार से लिंक करने के नाम पर 10 करोड़ की ठगी, दो गिरफ्तार

बैंक खाते को आधार से लिंक करने के नाम पर 10 करोड़ की ठगी, दो गिरफ्तार

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arrested... - फोटो : bharat rajneeti
बैंक खाते और मोबाइल फोन को आधार से लिंक करने के नाम पर करीब एक हजार लोगों से दस करोड़ रुपये की ठगी करने का मामला सामने आया है। द्वारका जिले की साइबर सेल ने इस मामले  में दो लोगों को गिरफ्तार किया है।  आरोपी झारखंड व पश्चिम बंगाल के नक्सली इलाके में कॉल सेंटर के जरिये गैंग को ऑपरेट कर रहे थे। गैंग में सौ से ज्यादा सदस्य हैं, जो देश के कई राज्यों में सक्रिय हैं। पकड़े गए आरोपियों में गैंग का सरगना और फर्जी दस्तावेज के जरिये बैंक खाता मुहैया करवाने वाला शामिल है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 81 डेबिट कार्ड, 104 चेक बुक, 130 पासबुक, 31 सिमकार्ड व 8 मोबाइल फोन बरामद किए हैं। 

जिला पुलिस उपायुक्त ऐंटो अल्फोंस ने बताया कि शिकायत पर मामले की जांच करते हुए पुलिस टीम ने आजमगढ़, यूपी निवासी मनोज यादव (31) को दिल्ली से जबकि दूसरे आरोपी झारखंड के जामताड़ा निवासी अलीमुद्दीन अंसारी (27) को राजस्थान से धर दबोचा। अलीमुद्दीन गैंग का सरगना है जबकि मनोज गैंग के लिए फर्जी कागजात के जरिये बैंक खाता मुहैया करवाता था। 

इस तरह देते थे वारदात को अंजाम
द्वारका निवासी डॉक्टर राकेश गिलानी ने द्वारका नार्थ थाने में शिकायत दी कि एक शख्स ग्राहक सेवा प्रतिनिधि बनकर उसे फोन किया और बताया कि उनके मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ा जाना है। उसके बाद कॉलर ने टेलीकॉम सर्विस नंबर से जुड़े पीड़ित के डेबिट कार्ड नंबर और सीवीवी नंबर ले लिया। 

पूरी जानकारी लेने के बाद आरोपी ने पीड़ित को एक मैसेज भेजा, जिसे 121 नंबर पर भेजने के लिए कहा। साथ ही कहा कि मैसेज भेजने के बाद उसका सिम कुछ देर के लिए निष्क्रिय हो जाएगा, जो बाद में अपने आप चालू हो जाएगा। इस बीच आरोपी सारी जानकारी लेने के बाद पीड़ित के बैंक में अपने नाम से मोबाइल अपडेट कराया और ट्रांजेक्शन के लिए ओटीपी का इस्तेमाल कर रकम को अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया। 36 घंटे तक सिम सक्रिय नहीं होने पर पीड़ित ग्राहक सेवा प्रतिनिधि से बात की। 

जिसमें पता चला कि उसके मोबाइल नंबर पर एक नया सिमकार्ड सक्रिय हो चुका है। पीड़ित ने अपने बैंक खाते की जांच की। जिसमें पता चला कि उसके खाते से 4.17 लाख रुपये निकाल लिए गए हैं। उसके बाद पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की।

ऐसे पकड़े गए आरोपी 

साइबर सेल व द्वारका नार्थ थाना पुलिस टीम ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि पीड़ित के खाते से निकाले गए रुपये चार अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए गए हैं। पुलिस ने इन सभी खातों की जानकारी हासिल की। इसमें पता चला कि ये खाते दिल्ली, झारखंड और पश्चिम बंगाल के हैं। पुलिस ने खाताधारकों के पैन और आधार नंबर लेकर जांच की। 

साथ ही आरोपियों के नंबर का रिकार्ड भी खंगाला। काफी विश्लेषण करने के बाद पुलिस ने तकनीकी आधार पर मदनपुर खादर और करोलबाग में छापामारी कर मनोज यादव को गिरफ्तार कर लिया। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने दूसरे आरोपी अलीमुददीन अंसारी को राजस्थान के अजमेर से गिरफ्तार कर लिया। 

कई राज्यों में फैला है गैंग
आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि गैंग में सौ से ज्यादा सदस्य हैं और वे कई राज्यों में फैले हैं। गैंग के झारखंड के जामतारा, गिरीडीह, देवघर, धनबाद और पश्चिम बंगाल के वर्धमान में कॉल सेंटर हैं। जिसमें कार्यरत आरोपी लोगों से उनकी बैंक खातों व क्रेडिट व डेबिट कार्ड की जानकारी लेकर उन्हें ठगी का शिकार बनाते हैं। 

मनोज यादव फर्जी कागजात पर बैंक खातों का इंतजाम करता है। वह गरीब और श्रमिक को आत्मीयता दिखाकर उनके पहचान पत्र लेता है और फिर उनके आधार पर फर्जी पता अंकित करवाता है। जिसके जरिए बैंक खाता खुलवाता है। इसके एवज में गरीबों को दो हजार रुपये देता है। इसके एवज में गैंग का सरगना मनोज को हर खाते पर 12 हजार रुपये देता है। जांच में पता चला है कि गैंग के सदस्य इन खातों में करीब 10 करोड़ रुपये की लेन-देन कर चुके हैं। आरोपियों ने खुलासा किया है कि अब तक करीब एक हजार लोगों से ठगी कर चुके हैं। 

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