वायुसेना की ‘गोल्डन एरो’ 17 स्क्वाड्रन आज फिर होगी बहाल, राफेल लड़ाकू विमान उड़ाएगी
Rafale - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- वायुसेना की 'गोल्डन एरो' 17 स्कवाड्रन मंगलवार को फिर बहाल की जाएगी
- यह पहली यूनिट होगी जोकि फ्रांस से आ रहे राफेल लड़ाकू विमान को उड़ाएगी
- 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना प्रमुख धनोआ ने किया था नेतृत्व
- 1951 में हुआ था गठन, डे हैवीलैंड वैम्पायर एफ एमके 52 लड़ाकू विमानों को उड़ाती थी
वायुसेना की 'गोल्डन एरो' 17 स्कवाड्रन मंगलवार को फिर बहाल की जाएगी। यह पहली यूनिट होगी जोकि फ्रांस से आ रहे राफेल लड़ाकू विमान को उड़ाएगी। इस महीने के अंत या अक्तूबर के पहले हफ्ते में पहला लड़ाकू विमान मिल सकता है। सूत्रों ने बताया कि वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर एक समारोह में 17 स्क्वाड्रन को फिर से शुरू करेंगे। अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर ही राफेल विमानों की पहली खेप को तैनात किया जाएगा। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना प्रमुख धनोआ ने ‘गोल्डन एरो’ 17 स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया था। पहले यह पंजाब के बठिंडा एयर बेस से संचालित होती थी, लेकिन वायुसेना के रूसी मिग 21 विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाना शुरू करने के बाद यह स्क्वाड्रन 2016 में अंबाला स्थानांतरित कर दिया गया।
इस स्क्वाड्रन का गठन 1951 में हुआ था और शुरुआत में यह डे हैवीलैंड वैम्पायर एफ एमके 52 लड़ाकू विमानों को उड़ाती थी। वायुसेना ने राफेल विमानों की तैनाती के लिए अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इन तैयारियों में जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और पायलटों का प्रशिक्षण भी शामिल है।
राफेल विमानों का पहला स्क्वाड्रन अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर ही तैनात किया जाएगा। इस एयर फोर्स स्टेशन को वायुसेना के सबसे अहम सामरिक बेसों में से एक माना जाता है। पाकिस्तान सीमा यहां से करीब 220 किलोमीटर दूर है। राफेल विमानों के दूसरे स्क्वाड्रन की तैनाती पश्चिम बंगाल के हासिमारा स्थिति एयर फोर्स स्टेशन पर होगी। भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 36 राफेल विमानों की खरीद का 58 हजार करोड़ में करार किया था।