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सोमवार, 23 सितंबर 2019

2020 से आपकी हर हरकत पर रहेगी नेटग्रिड की नजर, सुरक्षा एजेंसियों को देगा पल-पल का डाटा

2020 से आपकी हर हरकत पर रहेगी नेटग्रिड की नजर, सुरक्षा एजेंसियों को देगा पल-पल का डाटा

NATGRID To Function From 2020, 10 Agencies With Access Find Out Here

खास बातें

  • देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों को पल-पल का डाटा देगा नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड
  • फाइलों में दबी योजना को मोदी ने कराया दोबारा शुरू
  • मुंबई हमले के बाद बनी थी गठन की योजना
अगले साल से आपकी हर हरकत पर नेटग्रिड की पैनी नजर रहेगी। देश की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए तैयार किए गया यह मजबूत इंटेलिजेंस संग्रहण तंत्र देश के अंदर इमिग्रेशन, बैंकिंग, व्यक्तिगत करदाताओं, हवाई व ट्रेन यात्राओं से जुड़े हर पल के डाटा का विश्लेषण कर अपनी जानकारियां सभी केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को ‘रियल टाइम’ जानकारी उपलब्ध कराएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने रविवार को कहा कि इस ग्रिड के जनवरी, 2020 में काम शुरू कर देने की संभावना है। इस अधिकारी ने बताया कि 3400 करोड़ रुपये के नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नेटग्रिड) प्रोजेक्ट का काम बेहद तेजी से पूरा किया जा रहा है। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह के इस प्रोजेक्ट की समीक्षा करने के बाद इसमें और ज्यादा तेजी आ गई है।

नेटग्रिड का डाटा रिकवरी सेंटर बंगलूरू में तैयार किया जा रहा है, जबकि दिल्ली में इसका मुख्यालय बनाया जा रहा है। दोनों ही जगह निर्माण कार्य तकरीबन पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि आयकर विभाग से लगभग करोड़ करदाताओं का डाटा हासिल करने की प्रक्रिया को नेटग्रिड प्रबंधन ने अंतिम रूप दे दिया है, जबकि घरेलू हवाई यात्रियों का डाटा हासिल करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नागरिक उड्डयन महानिदेशक और सभी एयरलाइंसों के साथ बातचीत अंतिम दौर में है। अधिकारी ने कहा, ऐसे में अगले साल के शुरू से इस सिस्टम के चालू होने की पक्की संभावना है।

अधिकारी ने बताया कि नेटग्रिड का डाटा फिलहाल देश की 10 केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को रियल टाइम में उपलब्ध होगा, लेकिन राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों को इसका सीधा उपयोग करने का अधिकार नहीं दिया गया है। राज्य एजेंसियों को डाटा पाने के लिए किसी न किसी केंद्रीय एजेंसी की ही मदद लेनी होगी।

कैसे करेगा यह सिस्टम काम

खुफिया इनपुट का विश्लेषण करने के लिए नेटग्रिड के पास देश में आने वाले और यहां से जाने वाले हर देशी-विदेशी व्यक्ति का डाटा होगा। इसके अलावा बैंकिंग व वित्तीय लेनदेन, क्रेडिट कार्ड खरीदारी, मोबाइल व फोन, व्यक्तिगत करदाताओं, हवाई यात्रियों, रेल यात्रियों के डाटा तक भी इसकी पहुंच होगी।

बैंकिंग लेनदेन और इमिग्रेशन का डाटा नेटग्रिड में ‘रियल टाइम मैकेनिज्म’ के तहत तत्काल उपलब्ध होगा। पहले चरण में नेटग्रिड से 10 यूजर एजेंसियों और 21 सेवा प्रदाताओं को जोड़ा गया है। बाद में 950 अन्य संगठनो को भी इससे जोड़ा जाएगा, जबकि आने वाले सालों में करीब 1000 अन्य संगठनों को इससे जोड़ने की योजना है।

इन सुरक्षा एजेंसियों को मिलेगा डाटा

इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), रिसर्च एंड एनालसिस विंग (रॉ), सीबीआई, ईडी, डीआईआई, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू), सीबीडीटी, सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी), डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज एंड इंटेलिजेंस (डीजीसीईआई) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी)

मुंबई हमले के बाद बनी थी गठन की योजना

नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड के गठन की योजना देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 2008 में हुए भयानक आतंकी हमले के बाद बनी थी। उस समय माना गया था कि रियल टाइम डाटा एनालसिस मैकेनिज्म नहीं होने के चलते ही इस हमले के लिए रेकी करने वाले पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड हैडली के 2006 से 2008 के बीच देश में कई बार आने-जाने की निगरानी नहीं हो सकी थी।

हैडली के इन दौरों से मिले वीडियो और अहम जानकारियों की बदौलत लश्कर-ए-ताइबा के आतंकी मुंबई में समुद्री रास्ते से घुसकर भयानक तबाही मचाते हुए 166 लोगों को मार पाए थे।


फाइलों में दबी योजना को मोदी ने कराया दोबारा शुरू

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार की कैबिनेट कमेटी (सुरक्षा) ने 8 अप्रैल, 2010 को नेटग्रिड बनाने को मंजूरी दी थी। लेकिन 2012 तक इसके गठन का काम फाइलों में दब गया था। सूत्रों का कहना है कि 2014 में प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने 10 जून, 2016 को इस योजना की जानकारी मिलने पर दोबारा काम शुरू कराया था। इसके बाद से ही पूरा सिस्टम तैयार किया जा रहा है।

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