आतंक पर सेना प्रमुख की दो टूक, कहा- जरूरत पड़ी तो एलओसी भी पार करेंगे
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए साक्षात्कार में जब जनरल रावत से पूछा गया कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को जिस तरह से आईएसआई और सेना के समर्थन मिल रहा है, उस बारे में आपकी क्या राय है तो उन्होंने कहा कि यह जुड़ा हुआ है। वह कहते रहते हैं कि हम आतंकियों का समर्थन नहीं करते जबकि भारत ने उन्हें बहुत सारे सबूत दिए हैं। पांच अगस्त के बाद (धारा 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निष्प्रभावी करना) उन्होंने साफतौर पर नहीं कहा है कि कश्मीर में जिहाद करने के लिए चलो। यह जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन करने की मौन स्वीकृति है। आप आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए रातोंरात ऐसी मशीनरी नहीं बना सकते हैं। यह हमेशा से रहा है। पाकिस्तान में आतंकियों के प्रशिक्षण शिविर हैं। बेशक वह शिफ्ट होते रहते हैं। हमारे साथ प्रॉक्सी वॉर (छद्म युद्ध) करना पाकिस्तान की नीति है।
पाकिस्तान अक्सर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देता रहता है। यूएनजीए में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने परमाणु युद्ध की बात कही थी। इसपर सेनाध्यक्ष ने कहा कि परमाणु हथियार निवारण का हथियार हैं। यह युद्ध लड़ने वाले हथियार नहीं हैं। मुझे यह समझ में नहीं आता जब कोई यह दावा करता है कि वह उसका इस्तेमाल पारंपरिक युद्ध में करेगा, या उस पर हमले की स्थिति में करेगा। क्या वैश्विक समुदाय आपको कभी भी इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल करने की इजाजात देगा? पाकिस्तान के बयान रणनीतिक हथियारों के इस्तेमाल की अनुचित समझ को दिखाता है।