बच्चा गोद लेने की औपचारिकताएं पूरी करने को दिल्ली बुलाना गलत, कोर्ट की फटकार
बच्चों को गोद लेने के इच्छुक लोगों को औपचारिकताएं पूरी करने के लिए दूरदराज के इलाकों से दिल्ली बुलाना अनाथ बच्चों को माता-पिता से मिलाने की मूल भावना के विरोध में है। यह कड़ी टिप्पणी अदालत ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को फटकार लगाते हुए की है। जिला व सत्र न्यायाधीश गिरीश कठपालिया ने सेंट्रल एडोप्शन रिसोर्स एजेंसी (कारा) से पूछा कि क्या बच्चों को गोद लेने के लिए दायर होने वाली याचिकाएं उसी क्षेत्र में दायर की जा सकती हैं, जहां बच्चा और उसे गोद लेने वाला शख्स निवास करता है।
हालांकि, यह कारा के लिए वित्तीय रूप से थोड़ा महंगा हो सकता है। अदालत ने इस बात पर गौर किया कि कई मामलों में बच्चा दिव्यांग होता है या उसे गोद लेने वाली कोई अकेली महिला होती है, लेकिन दोनों को कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए दिल्ली आना पड़ता है।
मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 10 अक्तूबर की तारीख तय की है। अदालत ने अपने निर्देश में कहा कि एक गंभीर मुद्दा होने के बाद भी कारा ने इसमें सहायता नहीं की। इसलिए महिला एवं बाल विकास सचिव इस मामले में उचित कार्रवाई करें।
हालांकि, यह कारा के लिए वित्तीय रूप से थोड़ा महंगा हो सकता है। अदालत ने इस बात पर गौर किया कि कई मामलों में बच्चा दिव्यांग होता है या उसे गोद लेने वाली कोई अकेली महिला होती है, लेकिन दोनों को कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए दिल्ली आना पड़ता है।
मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 10 अक्तूबर की तारीख तय की है। अदालत ने अपने निर्देश में कहा कि एक गंभीर मुद्दा होने के बाद भी कारा ने इसमें सहायता नहीं की। इसलिए महिला एवं बाल विकास सचिव इस मामले में उचित कार्रवाई करें।