बेटी-बेटे को टिकट दिलाने पर अड़े ये दोनों नेता, तेवरों ने बढ़ाई भाजपा नेतृत्व की उलझन
खास बातें
दो दिन पूर्व पार्टी मुख्यालय में चुनाव को ले कर हुई बैठक में इस मुद्दे पर बेहद तल्ख बहस हुई। नेतृत्व का तर्क था कि चूंकि चौधरी बीरेंद्र की पत्नी विधायक हैं इसलिए टिकट केमामले में उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
इस पर गुर्जर का कहना था कि उनका पुत्र देवेंद्र चौधरी भी चुना हुआ पार्षद और डिप्टी मेयर है। वहीं इंद्रजीत का कहना था कि वह भी अपनी बेटी के टिकट के लिए चौधरी बीरेंद्र सिंह की तरह केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं।
राव अपनी बेटी आरती राव को रेवाड़ी से टिकट दिलाना चाहते हैं। उनकी योजना अगले लोकसभा चुनाव में अपनी जगह अपनी बेटी को गुडग़ांव से लोकसभा चुनाव लड़ा कर अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने की है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि राव इंद्रजीत सिंह की शिकायत है कि एक तरफ उनकी बेटी के साथ-साथ उनके समर्थकों को टिकट देने में आनाकानी हो रही है, जबकि उनके धुर विरोधियों को पार्टी में शामिल करा कर टिकट देने की तैयारी की जा रही है।
अपने विरोधी जगदीश यादव, राव अभय सिंह, विक्रम ठेकेदार को टिकट दिए जाने की संभावना के बीच राव इंद्रजीत रैलियों केमाध्यम से लगातार शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि 69 वर्षीय राव के पास अपने पुत्री को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने का यह आखिरी मौका है। इसलिए वह किसी भी सूरत में अपनी बेटी को टिकट दिलाने पर अड़े हैं।