राजपथ, संसद और सचिवालय का स्वरूप बदलेगी सरकार, कंपनियों से मांगे प्रस्ताव

राष्ट्रपति भवन (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
नरेंद्र मोदी सरकार नई दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ के इलाके को दोबारा विकसित करने जा रही है। एडविन लुटियंस ने राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक को डिजायन किया था। अब चार स्कवायर किलोमीटर के दायरे वाले इस क्षेत्र में मौजूद इमारतों को लेकर नया प्लान तैयार किया जा रहा है। सरकार राजपथ, संसद भवन और सचिवालय सब कुछ का पुनर्विकसित करने जा रही है। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान में नए भारत के मूल्य और आकांक्षाओं की झलक दिखेगी। इस मेगा प्लान के तहत वर्तमान संसद भवन के बगल में एक नए भवन का निर्माण किया जाएगा या फिर भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए मौजूदा भवन का ही आधुनिकीकरण किया जाएगा। सेंट्रल विस्टा को अपग्रेड करके इसे प्रमुख पर्यटक आकर्षण वाला बनाया जाएगा। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने कंपनियों और सलाहकारों से पूरे सेंट्रल विस्टा के लिए एक नया मास्टर प्लान तैयार करने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं।
कंपनियों से कहा गया है कि वे 15 अक्तूबर तक अपने प्रस्ताव दें। कंपनियों से कहा गया है कि वे 15 अक्तूबर तक अपने प्रस्ताव दें। योजना में बुनियादी सुविधाओं, साधन, पार्किंग और हरित क्षेत्र की जगह को अपग्रेड करना शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि तत्कालीन संसद भवन में और ज्यादा सासंदों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। वहीं परिसीमन होने के बाद संसद में नए सांसद पहुंचेगे। सरकार ने सभी परियोजानओं को पूरा करने के लिए 2024 की डेडलाइन घोषित की है। यानी अपने कार्यकाल के दौरान ही सरकार निर्माण कार्य पूरा करना चाहती है।
ऐतिहासिक इमारतों राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक का निर्माण 1911 और 1931 के बीच हुआ था। आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने सेंट्रल विस्टा की योजना बनाई थी। एक बार नया सचिवालय बन जाए तो सरकार नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के कार्यालयों को इनमें शिफ्ट कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार इन इमारतों को म्यूजियम में तब्दील करने पर भी विचार कर रही है। इससे पहले यूपीए-2 के कार्यकाल के दौरान नए संसद भवन के निर्माण पर चर्चा शुरू हुई थी लेकिन बाद में यह मामला अधर में लटक गया।
कंपनियों से कहा गया है कि वे 15 अक्तूबर तक अपने प्रस्ताव दें। कंपनियों से कहा गया है कि वे 15 अक्तूबर तक अपने प्रस्ताव दें। योजना में बुनियादी सुविधाओं, साधन, पार्किंग और हरित क्षेत्र की जगह को अपग्रेड करना शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि तत्कालीन संसद भवन में और ज्यादा सासंदों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। वहीं परिसीमन होने के बाद संसद में नए सांसद पहुंचेगे। सरकार ने सभी परियोजानओं को पूरा करने के लिए 2024 की डेडलाइन घोषित की है। यानी अपने कार्यकाल के दौरान ही सरकार निर्माण कार्य पूरा करना चाहती है।
ऐतिहासिक इमारतों राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक का निर्माण 1911 और 1931 के बीच हुआ था। आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने सेंट्रल विस्टा की योजना बनाई थी। एक बार नया सचिवालय बन जाए तो सरकार नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के कार्यालयों को इनमें शिफ्ट कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार इन इमारतों को म्यूजियम में तब्दील करने पर भी विचार कर रही है। इससे पहले यूपीए-2 के कार्यकाल के दौरान नए संसद भवन के निर्माण पर चर्चा शुरू हुई थी लेकिन बाद में यह मामला अधर में लटक गया।