
- मां ने बेटे के सपने पूरे करने में पूरी ताकत झोंक दी
- कुर्ला मुंबई की गौरीशंकर चॉल में पैदा हुए थे जयकुमार वैद्य
मां ने की कड़ी मेहनत
जय कुमार का जन्म 15 सितंबर 1994 में कुर्ला मुंबई की गौरीशंकर चॉल में हुआ था. उनके इस जीवन में उनकी मां नंदिनी जो कि सिंगल मां थी, उन्होंने बच्चे के लिए मेहनत करके उसे ये मुकाम दिलाया. बता दें कि जयकुमार की मां नलिनी ने पति से तलाक के बाद बेटे को ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए कई मुश्किलों का सामना किया. वो बेटे के लिए पैकेजिंग फर्म में 8000 की नौकरी करने लगीं. फिर अचानक ये नौकरी भी छिन गई तब भी उन्होंने हार नहीं मानी. वो हर वक्त मां को कठिनाइयों से पार पाते देख रहे थे. इसीलिए उन्होंने ठान लिया कि एक दिन मां को यहां से निकालकर अच्छी जिंदगी देंगे. लेकिन, हालात ये थे कि फीस न भरने पर जय को परीक्षा में भी नहीं बैठने दिया गया. मां-बेटे ने अक्सर कई-कई दिन बड़ा पाव और समोसे खाकर गुजारे.जय ने 11 साल की उम्र से ही अपनी मां का सहारा बनने की ठान ली. इसी उम्र से वो भी कभी कोई टीवी मैकेनिक तो कभी दूसरे कामों से थोड़ा बहुत काम करके मां की मदद करने लगे. उन्होंने एक मंदिर ट्रस्ट से फीस, कपड़ा, राशन की और इंडियन डेवलपमेंट फाउंडेशन से इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए बिना ब्याज के कर्ज की मदद भी ली. yourstory में आए जय के साक्षात्कार के अनुसार वो कहते हैं कि मुश्किल के दिनों में कुछ महत्वपूर्ण लोगों और कुछ संस्थाओं ने हमारी मदद की.
चार पुरस्कारों ने बढ़ाया हौसला
जय जब कॉलेज में इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उन्हे रोबोटिक्स में प्रदेश और नेशनल लेबल के चार पुरस्कार मिले. उसी वक्त उनका रुझान नैनोफिजिक्स में होने लगा, जिसके बूते उनको टूब्रो और लार्सन में इंटर्नशिप का अवसर मिल गया. उसके बाद उनको टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल में 30 हजार महीने की नौकरी मिल गई. अब उनकी जिंदगी की रफ्तार तेज हो चली. उस पैसे से उन्होंने मामूली से घर की मरम्मत के साथ ही छोटे-मोटे कर्ज चुकाने शुरू कर दिए. उन्हीं दिनों उन्होंने जीआरआई और टोफल के एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी. साथ ही साथ ऑनलाइन एग्जाम की अपडेट लेते रहते थे और जिटल इलेक्ट्रॉनिक्स, सर्किट एंड ट्रांसमिशन लाइंस एंड सिस्टम तथा कंट्रोल सिस्टम पर युवाओं को कोचिंग देने लगे.जयकुमार बताते हैं कि एक दिन जब टीआईएफआर में जूनियर रिसर्च एसोसिएट का काम करते हुए इंटरनेशनल जर्नल्स में दो रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए तो उसे पढ़ने के बाद उनको ग्रेजुएट रिसर्च असिस्टेंट पद पर काम करने के लिए वर्जीनिया यूनिवर्सिटी (अमेरिका) से बुलावा आ गया. वो कहते हैं कि पीएचडी के बाद मैं किसी इंडस्ट्री में नौकरी करना चाहता हूं.