डीआरडीओ कांफ्रेस में बोले सेनाध्यक्ष- अगली लड़ाई स्वदेशी तकनीक से लड़ेंगे और जीतेंगे
![डीआरडीओ कांफ्रेस में बोले सेनाध्यक्ष- अगली लड़ाई स्वदेशी तकनीक से लड़ेंगे और जीतेंगे दिल्ली में डीआरडीओ के निद्शकों की कांफ्रेंस हो रही है](https://spiderimg.amarujala.com/assets/images/2019/10/15/750x506/drdo-conference_1571114961.jpeg)
सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने कहा, 'डीआरडीओ ने इस चीज को सुनिश्चित करने की कोशिश की है सेवाओं की आवश्यकताओं को घरेलू समाधानों के माध्यम से पूरा किया जाए। हमें विश्वास है कि हम स्वदेशी हथियार प्रणालियों और उपकरणों के जरिए अगला युद्ध लड़ेंगे और जीतेंगे। हम भविष्य के युद्ध के लिए प्रणालियों को देख रहे हैं। हमें साइबर, स्पेस, लेजर, इलेक्ट्रॉनिक, रोबोटिक तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास को देखना शुरू करना होगा।'
कांफ्रेस में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कहा, 'आला तकनीकें कुछ ऐसी हैं जो भारत को अधिक सुरक्षा प्रदान करती हैं। हमें अपनी रक्षा सेवाओं और खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर एक आकलन करना होगा कि हमारी जरूरतें क्या हैं जो हमें हमारी प्रतिकूलताओं पर बढ़त दिलाएंगी। सेना जो पूरी तरह से सुसज्जित होती है उन्हें शॉट्स कहा जाता है। वह हमेशा मानवता की किस्मत का फैसला करती हैं। उनके पास हमेशा उच्च प्रौद्योगिकी होती है।'
उन्होंने आगे कहा, 'इसपर भारत का अपना ऐतिहासिक अनुभव दुखद रहा है। हन रनर-अप हैं। रनर-अप के लिए कोई ट्रॉफी नहीं होती है। या तो आप अपने विरोधी से बेहतर हो सकते हैं या आप कहीं नहीं होते। आधुनिक दुनिया में तकनीक और पैसा दो ऐसी चीजें हैं जो जियोपॉलिटिक्स को प्रभावित करती हैं। कौन जीतेगा यह इसपर निर्भर करता है कि उसका अपने विरोधी के खिलाफ इन दो चीजों को लेकर क्या पूर्वाग्रह हैं। इन दोनों में से तकनीक ज्यादा महत्वपूर्ण है।'
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'मैं एपीजे अब्दुल कलाम के 88वें जन्मदिन पर उन्हें धन्यवाद देता हूं। वह एक स्वीकृत वैज्ञानिक थे। अनुसंधान और मिसाइल विकास में उनके योगदान ने भारत को अपनी स्वदेशी क्षमताओं के लिए जानी जाने वाले देशों की सूची में ला दिया।'