महाराष्ट्र चुनाव: कामकाज के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर कटे भाजपा दिग्गजों के टिकट
Devendra fadanvis - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- केंद्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र में आधा दर्जन दिग्गज नेताओं के काटे टिकट
- भ्रष्टाचार को बिल्कुल नहीं किया जाएगा बर्दाश्त
- भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं से भाजपा ने किया किनारा
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में आधा दर्जन दिग्गज नेताओं के पत्ते काट कर साफ कर दिया कि वह कामकाज में ढिलाई और भ्रष्टाचार के आरोपों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। फडणवीस मंत्रिमंडल में शामिल एकमात्र चंद्रकांत पाटिल को छोड़कर सभी बड़े नेताओं के टिकट काट दिए गए। शुक्रवार को अंतिम सूची आने तक वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे, उच्च शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े और ऊर्जा मंत्री चंद्रकांत बावनकुले प्रतीक्षा करते रहे। पूर्व मंत्री प्रकाश मेहता और विधान परिषद के पार्टी व्हिप राजकुमार पुरोहित को भी टिकट नहीं दिया गया।
टिकट कटने वालों में खडसे को जरूर थोड़ी राहत मिली कि उनकी सीट मुक्ताईनगर से उनकी छोटी बेटी रोहिणी खडसे को टिकट दिया गया। मगर अपना टिकट कटने की बात उन्हें हजम नहीं हो रही है। मुंबई के बोरीवली से विधायक तावड़े की जगह सुनील राणे को टिकट दिया गया। राणे मुंबई भाजपा के महासचिव हैं, जो 2014 में वर्ली से चुनाव लड़े, लेकिन शिवसेना के सुनील शिंदे से हार गए थे।
वहीं, प्रकाश मेहता की घाटकोपर पूर्व सीट पर कारपोरेटर और डेवलपर पराग शाह को उतार दिया गया। बावनकुले को जैसे ही अपने सूत्रों से पता चला कि चौथी सूची में भी उनका नाम नहीं है तो उन्होंने नागपुर की कामठी सीट से पत्नी ज्योति बावनकुले को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पर्चा भरवाने का फैसला कर लिया। हालांकि, चौथी सूची में बावनकुले की जगह उनकी पत्नी को टिकट मिल गया।
भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं से किनारा
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने टिकट देते वक्त मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड की सख्ती से जांच की। पांच बार विधायक रहे खडसे 2016 में ही भ्रष्टाचार के आरोपों से बुरी तरह घिरे और पार्टी में साख खोते चले गए थे। मेहता को झुग्गी पुनर्वास परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोप में इसी साल कैबिनेट से हटाया गया था। बावनकुले पर भी झूठे कागजात के आधार पर अपने परिजनों को सरकारी नौकरियां दिलाने से लेकर भाई को सड़क निर्माण के करोड़ों का ठेका दिलाने के आरोप लगे।
इससे केंद्रीय नेतृत्व नाराज था। इन नेताओं के बीच तावड़े और पुरोहित को टिकट न मिलने के पीछे कामकाज की शिकायतों के साथ मुख्य रूप से सीनियर नेताओं की नाराजगी बताई जा रही है। तावड़े को फडणवीस खास पसंद नहीं करते और कहा जाता है कि उनके शिक्षा मंत्री वाले कार्यकाल में कुछ शिकायतें मुख्यमंत्री के पास आई थीं।