
अनजान शख्स ने पुलिसवालों के खाने का बिल क्यों दिया?
पोस्ट वायरल होने के बाद दारोगाओं सहित पेमेंट देने वाले व्यक्ति की पहचान हो गई. पेमेंट करने वाले मुरादाबाद के कारोबारी राजेश भारतीय ने कहा कि वायरल पोस्ट में पुलिसकर्मियों ने जो दिल से मार्मिक शब्दों का इस्तेमाल किया, मेरा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं था. वह तो उनके द्वारा ली गई एक सेल्फी में मेरी फोटो आ गई और लोगों ने मुझे पहचान लिया. लेकिन मेरा यही कहना है कि देश की सेवा में रात और दिन काम करने वाले के लिए यह मेरा कर्तव्य है. लेकिन तीनों दारोगा अभी तक राजेश भारतीय से नहीं मिल पाए हैं लेकिन मिलने के लिए लालायित हैं कि आखिर कौन है वो शख्स जो पुलिस के प्रति ऐसी सोच रखता है?मुरादाबाद के सिविल लाइन्स थाना इलाके के मुख्य चौराहे पर ड्यूटी देने वाले तीनों ट्रेनी दारोगा सुशिल सिंह राठौर, गौरव शुक्ल और विजय पांडे बुधवार को भी वहीं ड्यूटी करते मिल गए जो 21 दिसंबर को ड्यूटी पॉइंट के नजदीक स्थित रेस्टोरेंट में खाना खाने गए थे. उनके बिल का भुगतान कोई अनजान व्यक्ति कर गया था. रेस्टोरेंट मैनेजर संजय ने भी इस बात की पुष्टि की और उन्होंने पूरा वाक्या बता दिया.
लेकिन पेमेंट करने वाला वो अनजान कौन था, उस शख्श का पता भी न तो ट्रेनी दरोगा और होटल मैनेजर को नहीं लग पाया. दारोगा सुशील द्वारा रेस्टोरेंट के अंदर ली गई एक सेल्फी जो उसने इस घटना के विवरण लिखकर फेसबुक पर पोस्ट कर दिया गया. यह पोस्ट काफी वायरल हो गई. यहां तक कि आईपीएस नवनीत सिकेरा सहित काफी लोगों ने उसकी सराहना करते हुए शेयर कर दी, जिसके बाद यह पोस्ट तेजी से वायरल हुई.
बिल पेमेंट करने वाले अनजान शख्स के बारे में कैसे पता चला ?
उस सेल्फी में जो शख्स पीछे बैठा दिखाई दे रहा था, उनको काफी प्रयास के बाद आखिर ही ढूंढ ही निकाला गया. ये कोई और नहीं बल्कि मुरादाबाद के ही एक बड़े कारोबारी थे जो अपने परिवार के साथ 21 दिसंबर की शाम रेस्टोरेंट पहुंचे थे और उनके द्वारा ही पुलिसकर्मियों का बिल का पेमेंट चुपचाप कर दिया गया था.कारोबारी राजेश भारतीय ने कहा कि मेरी सोच ये थी कि पुलिस को कौन समझता है जबकि वो हर स्थिति में कितनी परेशानियों में हमारे लिए ड्यूटी देते हैं, ठंड गर्मी की भी कोई चिंता नहीं होती. वायरल पोस्ट में पुलिसकर्मियों ने जो दिल से मार्मिक शब्दों का इस्तेमाल किया, मेरा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं था. वह तो उनके द्वारा ली गई एक सेल्फी में मेरी फोटो आ गई और लोगों ने मुझे पहचान लिया. मेरा यही कहना है कि देश की सेवा में रात और दिन काम करने वाले के लिए यह मेरा कर्तव्य है.
फेसबुक पर पोस्ट करने ट्रेनी दरोगा सुशील कुमार सिंह का कहना था कि अभी तक तो हमें ऐसा लगता था कि लोग पुलिस को बुरा ही समझते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पुलिस का सम्मान भी करते हैं. ये व्यवहार हमारे लिए नहीं वर्दी के लिए था. हमें ये अच्छा लगा और हमने लिखकर पोस्ट कर दिया. दोस्तों और परिवार को दिखने के लिए पोस्ट किया था कि कुछ लोग अच्छे विचार वाले भी हैं.