जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार 5 जनवरी की रात को हिंसा की घटना की हर जगह निंदा हो रही है. इस घटना में तकरीबन 25 छात्र और शिक्षक गंभीर रूप से घायल हुए हैं. इस पूरे घटनाक्रम में जेएनयू कैंपस के सर्वर रूम का बार-बार जिक्र आ रहा है. आइए- जानें विवाद की पूरी वजह.
- जेएनयू में रविवार शाम नकाबपोशों ने की हिंसा
- फीस वृद्धि को लेकर लंबे समय से आंदोलन जारी
जेएनयू में रविवार शाम को हुई हिंसा और विवाद को समझने के लिए सबसे पहले यहां चल रहे फीसवृद्धि आंदोलन को समझना होगा. बता दें जेएनयू में फीस बढ़ोतरी को लेकर सबसे बड़ा प्रदर्शन 11 नवंबर को हुआ था. विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दिन छात्रों ने प्रदर्शन करके केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से बढ़ी हुई फीस वापस लेने की मांग करते हुए समारोह का बहिष्कार किया था. मंत्रालय की ओर से कमेटी गठित होने के बाद प्रशासन ने बढ़ी हुई फीस में आंशिक कमी करते हुए आंदोलनकारी छात्रों से वापस कक्षाएं ज्वाइन करने की मांग की थी. लेकिन जेएनयू छात्रसंघ कंपलीट रोल बैक यानी पूरी बढ़ी हुई फीस वापस लेने की मांग पर अड़ा रहा.
छात्रों की इस मुहिम को देश के अन्य विश्वविद्यालयों और जेएनयू के लेफ्ट विंग शिक्षकों का भी सहयोग मिल रहा था. शुरुआती दौर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने भी फीस बढ़ोत्तरी पर प्रदर्शन किया था, लेकिन आंशिक तौर पर ये वृद्धि वापस होने के बाद उन्होंने विरोध वापस ले लिया था. वहीं जेएनयू प्रशासन ने अपना पक्ष देते हुए कहा था कि विश्वविद्यालय बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) छात्रों को आर्थिक रूप से मदद भी करेगा. लेकिन विरोध प्रदर्शन फिर भी जारी रहा.
ये है सर्वर रूम की भूमिका और विवाद की वजह
जेएनयू में विरोध कर रहे छात्रों ने परीक्षा का भी बहिष्कार किया था, इसके बाद प्रशासन की ओर से दाखिला प्रक्रिया शुरू की गई थी. जेएनयू छात्रसंघ लगातार इसका भी विरोध कर रहा था. ये दाखिला प्रक्रिया जेएनयू के सर्वर रूम से की जाती है. जेएनयू में ऑनलाइन दाखिला प्रक्रिया के लिए सर्वर रूम की बड़ी भूमिका है. आरोप है कि शनिवार को जेएनयू छात्र संघ ने सर्वर रूम को लॉक कर दिया था. जेएनयू प्रशासन ने शनिवार को बयान जारी करके कहा था कि कुछ छात्रों ने मास्क पहनकर सर्वर रूम पर कब्जा कर लिया था और तकनीकी स्टाफ को बंधक बना लिया था. वहीं रविवार को इसको लेकर एबीवीपी और लेफ्ट विंग के स्टूडेंट्स में हल्की झड़प हुई थी. इसके बाद जेएनयू छात्र संघ की ओर से साबरमती हॉस्टल से मार्च निकाला जाना था. इसी मार्च के दौरान यहां हिंसा हुई जिसे लेफ्ट विंग के छात्र एबीवीपी की ओर से सुनियोजित हमला बता रहे हैं.
इंटरनेट बंद होने से नहीं हुआ रजिस्ट्रेशन
इस मामले में जेएनयू एबीवीपी के अध्यक्ष दुर्गेश कुमार ने बताया कि रविवार रजिस्ट्रेशन का आखिरी दिन था. पिछले 3 दिनों से लेफ्ट यूनियन के छात्रों ने इंटरनेट बंद कर रखा है. एबीवीपी का इस पर कहना था कि अगर आपको रजिस्ट्रेशन नहीं करना है तो मत करो लेकिन जो स्टूडेंट्स रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं उनको करने दो. हम जब विरोध के लिए गए तो 1000 प्रोटेस्टर्स ने एबीवीपी के 50 कार्यकर्ताओं को एडमिन ब्लाक से दौड़ाकर मारा. प्रदर्शनकारियों ने उन्हें पेरियार और साबरमती हॉस्टल में घुसकर मारा है. हमारे कई कार्यकर्ता एम्स और सफदरजंग में भर्ती हैं. 11 कार्यकर्ता लापता हैं, उन्होंने अपने संगठन के लोगों पर जान का खतरा बताया.
JNU छात्रसंघ ने ABVP पर लगाया आरोप
जेएनयू छात्रसंघ का कहना है कि उनकी अध्यक्ष आइशी घोष और कई दूसरे स्टूडेंट्स को ABVP के सदस्यों ने पीटा है. इस दौरान कुछ तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए. जेएनयूएसयू ने दावा किया कि साबरमती और अन्य हॉस्टल में ABVP ने एंट्री कर छात्रों की पिटाई की. साथ ही ABVP की ओर से पथराव और तोड़फोड़ भी की गई. जेएनयूएसयू का कहना है कि तोड़फोड़ करने वाले लोगों ने चेहरे पर नकाब पहना हुआ था.