India China dispute : सीडीएस रावत ने कहा, लद्दाख में शांति स्थापित करना दोनों के हित में - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

India China dispute : सीडीएस रावत ने कहा, लद्दाख में शांति स्थापित करना दोनों के हित में

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन दोनों को क्रमिक रूप से पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति बहाल करने में सक्षम होना चाहिए। उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों ही देश यह समझते हैं कि क्षेत्र में शांति और अमन स्थापित करना उनके सर्वोत्तम हित में है।
एक विचारक संस्था के कार्यक्रम में अपने संबोधन में जनरल रावत ने कहा कि इसी के साथ भारत को 'किसी भी दुस्साहस' के लिए तैयार रहना चाहिए और जैसा पूर्व में किया, उसी तरह की प्रतिक्रिया देनी चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'मैं यही कहूंगा कि अपनी निगरानी बढ़ाइये, तैयार रहिए, चीजों को हल्के में मत लीजिए। हमें किसी भी दुस्साहस और उस पर प्रतिक्रिया के लिये भी तैयार रहना चाहिए। हमने पूर्व में ऐसा किया है और भविष्य में भी ऐसा करेंगे।'

लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के समाधान के बारे में जनरल रावत ने कहा कि विवाद सुलझाने के लिए दोनों पक्ष, राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर वार्ता कर रहे हैं। उन्होंने कहा, अभी इस गतिरोध की समस्या का समाधान निकलने में वक्त लगेगा। मुझे लगता है कि क्रमिक रूप से हम यथास्थिति हासिल करने में सक्षम होंगे क्योंकि अगर आप यथास्थिति हासिल नहीं करेंगे, और ऐसी ही स्थिति में बने रहेंगे तो किसी भी समय यह दुस्साहस का कारण बन सकती है।'

यह पूछे जाने पर कि क्या गतिरोध के बचे हुए बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की अपनी बात से चीन मुकर गया, उन्होंने कहा कि दोनों तरफ संदेह है और भारत ने भी वहां काफी संख्या में अपने सैनिक व संसाधन भेजे हैं। सीडीएस ने कहा, 'दोनों तरफ संदेह है क्योंकि दूसरे पक्ष ने जहां अपने बलों को तैनात किया और निर्माण किया है, तो हम भी पीछे नहीं हैं। हमने भी बड़ी संख्या में सैनिकों और संसाधनों की तैनाती की है। दोनों तरफ इस तरह का संदेह है कि क्या हो सकता है।'

क्षेत्र में चीन के बढ़ती सैन्य मौजूदगी से संबंधित खबरों के संदर्भ में सीडीएस बिपिन रावत ने कहा, 'मुझे लगता है कि उन्हें इस बात का एहसास है कि भारतीय सशस्त्र बलों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। उन्हें यह पता है कि भारतीय सेना अब 1961 वाली सेना नहीं रह गई है। यह एक शक्तिशाली सशस्त्र बल है जिससे यूं ही पार नहीं पाया जा सकता।' उन्होंने कहा कि वे जिस चीज के पात्र हैं उसके लिए खड़े होंगे। मुझे लगता है कि इस बात का उन्हें अच्छे से एहसास है।

बता दें कि भारत और चीन ने 25 जून को सीमा विवाद पर एक और दौर की कूटनीतिक वार्ता की थी। इस दौरान वे पूर्वी लद्दाख के बचे हुए गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों की पूर्ण वापसी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यथा शीघ्र अगले दौर की सैन्य वार्ता के लिए सहमत हुए। भारत और चीन के बीच पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में कई बिंदुओं पर सैन्य गतिरोध बना हुआ है। वार्ताओं के जरिए इसका हल ढूंढा जा रही है, लेकिन पूर्ण सफलता अभी तक नहीं मिल पाई है।

उल्लेखनीय है कि दोनों ही पक्षों ने हालांकि कई दौर की सैन्य व कूटनीतिक वार्ताओं के बाद फरवरी में पैंगॉन्ग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह हटा लिया था। दोनों पक्ष अब बचे हुए गतिरोध स्थलों से सैनिकों की वापसी को लेकर बातचीत कर रहे हैं। भारत विशेष रूप से हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देप्सांग से सैनिकों की वापसी के लिये दबाव डाल रहा है। भारत अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति की बहाली के लिए जोर दे रहा है।

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