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रविवार, 4 जुलाई 2021

Report : दुश्मनी की कीमत चुका रहा ड्रैगन, पाकिस्तान के अलावा कोई देश नहीं खरीदना चाहता चीन के हथियार

फॉरेन पॉलिसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले माह फिलीपींस में चीन की कार्रवाई के बाद से अब ज्यादातर देश चीन के साथ भागीदारी करने से कतराते नजर आ रहे हैं।
दुनिया भर में कोरोना महामारी की तबाही के बाद चीन पश्चिमी देशों के निशाने पर आ गया है। चीन के आक्रमण रवैया के चलते छोटे-छोटे देश भी ड्रैगन के साथ अपने रिश्तों को सीमित करते नजर आ रहे हैं। कई देशों ने चीन से हथियार और अन्य सैन्य सामग्रियों का आयात कम करना शुरू कर दिया है। हालत यह हो गई है कि अब बड़े देश तो क्या पाकिस्तान को छोड़ बाकी छोटे-छोटे देश भी चीन के हथियार और लड़ाकू विमान खरीदने से कतराते हैं।

फॉरेन पॉलिसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले माह फिलीपींस में चीन की कार्रवाई के बाद से अब ज्यादातर देश चीन के साथ भागीदारी करने से कतराते नजर आ रहे हैं। चीन का सबसे पक्का दोस्त पाकिस्तान ही उसके हथियार खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहा है। बता दें कि बीते महीने चीनी नौसेना के जहाज बिना मंजूरी के लिए फिलीपींस के जल क्षेत्र में घुस गए थे।

मलेशिया और इंडोनेशिया भी चुरा रहे चीन से नजरें

रिपोर्ट में कहा गया कि चीन लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के साथ भी विवाद में उलझा हुआ है, जिसके चलते दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव जारी है। भारत दूसरे देशों से हथियार आयात करता है, लेकिन वह चीन से सैन्य उपकरण नहीं खरीदता। ऐसा ही कुछ वियतनाम के साथ भी है। वियतनाम और चीन के बीच भी समुद्री क्षेत्र में विवाद बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अपने लड़ाकू विमान बेचना चाहता है, लेकिन मलेशिया और इंडोनेशिया तक उसके खरीदार बनने को राजी नहीं हैं।

यह है ड्रैगन की ख्वाहिश

हथियारों के लिए चीन पर सिर्फ पाकिस्तान ही निर्भर है। इस्लामाबाद ने बीते पांच सालों में जितने हथियार आयात किए हैं, उनमें से 74 फीसदी हिस्सेदारी चीन की है। रिपोर्ट में कहा गया कि चीन की इस असफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण उसकी विदेश नीति है। लड़ाकू विमान बेचने के लिए किसी भी देश को अपनी व्यापार नीति को लचीला बनाने की जरूरत पड़ती है, तकनीक हस्तांतरिक करनी होती है। यह सब हथियारों की डील का हिस्सा होता है, लेकिन चीन ऐसा नहीं होने देता। चीन दुनियाभर में सबसे बड़ा निर्यातक बनना चाहता है, लेकिन वह अपना आयात नहीं बढ़ाना चाहता।

भारत में हथियारों का आयात हुआ कम

इस साल स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि 'आत्मनिर्भर भारत' स्कीम के तहत भारत लगातार खुद पर निर्भरता बढ़ा रहा है। वर्ष 2011-2015 और 2016-20 के बीच भारत के हथियारों के आयात में 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इसी दौरान, चीन का निर्यात भी 7.8 फीसदी गिरा है।

चीन के निर्यात में आई भारी गिरावट

फॉरेन पॉलिसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर आपके दोस्त नहीं हैं तो ये अत्याधुनिक हथियार और विमान मायने नहीं रखते। यही वजह है कि दुनिया के देश बीजिंग के फाइटर जेट खरीदने से बच रहे हैं।

तकनीक सुधार के बावजूद इन देशों से पीछे है चीन

चीन ने लगातार अपने लड़ाकू विमानों की तकनीक में सुधार कर रहा है। ड्रैगन ने जे-10, जे-10सी और एफसी-31 जैसे लड़ाकू विमान बनाए हैं। सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2000 से 2020 के बीच चीन ने 7.2 अरब डॉलर के सैन्य विमान निर्यात किए हैं। वहीं, अमेरिका ने सबसे ज्यादा 99.6 अरब डॉलर के विमान निर्यात किए हैं और इसके बाद दूसरे नंबर पर रूस ने 61.5 अरब डॉलर के विमान दूसरे देशों को दिए हैं। यहां तक कि फ्रांस ने भी चीन से दोगुना कीमत यानी 14.7 अरब डॉलर के विमान निर्यात किए हैं।

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