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गुरुवार, 5 अगस्त 2021
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आर्टिकल 370 हटने के दो साल पूरे, कश्मीर में हुए हैं अब तक ये सात बड़े बदलाव, समझें फैसले के बाद के हालात
आर्टिकल 370 हटने के दो साल पूरे, कश्मीर में हुए हैं अब तक ये सात बड़े बदलाव, समझें फैसले के बाद के हालात
आज जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करने की दूसरी सालगिरह है। आज ही के दिन यानी पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी कर दिया गया था। केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटने का ऐलान भी किया था। आज यानी गुरुवार को इस ऐतिहासिक कदम के दो साल पूरे हो रहे हैं। इस अवधि में जम्मू-कश्मीर से जुड़े कई प्रावधानों में भी बदलाव किया गया है। इतना ही नहीं, केंद्र शासित राज्य के हालात भी काफी कुछ बदल गए हैं। आइए इनमें से कुछ पर नजर डालते हैं और समझते हैं।
1.स्थानीय निवासी का दर्जा
-जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निवासी बनने के नियमों में बदलाव करते हुए दूसरे राज्यों के ऐसे पुरुषों को वहां का स्थायी निवासी बनाने की व्यवस्था की गई है, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की लड़की से शादी की हो। अभी तक ऐसे मामलों में महिला के पति और बच्चों को जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं माना जाता था।
2.जमीन खरीदना संभव
-केंद्र सरकार ने घाटी से बाहर के लोगों को कश्मीर में गैर-कृषि योग्य जमीन खरीदने की अनुमति दे दी है। पहले सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लोग ही ऐसा कर सकते थे।
3.सरकारी इमारतों पर तिरंगा
-2019 में अनुच्छेद-370 हटने के 20 दिन बाद श्रीनगर सचिवालय से जम्मू-कश्मीर का झंडा हटाकर तिरंगा फहराया गया। सभी सरकारी कार्यालयों और संवैधानिक संस्थानों पर भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाने लगा।
4.पत्थरबाजों को पासपोर्ट नहीं
-हाल ही में केंद्र-शासित प्रदेश की सरकार ने आदेश जारी किया कि पत्थरबाजी और दूसरी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को पासपोर्ट जारी नहीं होंगे। सरकारी नियुक्तियों में सुरक्षा एजेसियां उन्हें हरी झंडी नहीं देंगी।
5.सत्ता का विकेंद्रीकरण
-जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद केंद्र सरकार ने वहां सत्ता के विकेंद्रीकरण के प्रयास किए। इसके तहत वहां पहले पंचायत और फिर बीडीसी चुनाव कराए गए।
6.गुपकार गठबंधन का उदय
-जम्मू-कश्मीर में जो दल एक-दूसरे के विरोध में राजनीति करते थे, वे अब गुपकार गठबंधन के तहत एकजुट हैं। इसमें पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियां शामिल हैं, जिन्होंने मिलकर चुनाव लड़ा।
7.शेख अब्दुल्ला का जन्मदिन नहीं मनता
-हर साल पांच दिसंबर को शेख अबदुल्ला का जन्मदिन सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता था। हालांकि, 2019 में यह प्रथा बंद कर दी गई। इसी तरह शेख अब्दुल्ला के नाम वाली कई सरकारी इमारतों के नाम बदल दिए गए।
आगे की राह परिसीमन
-जम्मू-कश्मीर विधानसभा क्षेत्र का परिसीमन होने जा रहा है, जिससे घाटी में आने वाली सात सीटें जम्मू में चले जाने की संभावना है। इससे क्षेत्र की राजनीति पर व्यापक असर पड़ेगा। इस बाबत परिसीमन आयोग की प्रक्रिया जारी है।
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