Uttar pradesh का शोपीस ब्रिज: गंगा में खड़ा 40 करोड़ का 'कंक्रीट का ढांचा', जो कहीं नहीं ले जाता - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शनिवार, 11 सितंबर 2021

Uttar pradesh का शोपीस ब्रिज: गंगा में खड़ा 40 करोड़ का 'कंक्रीट का ढांचा', जो कहीं नहीं ले जाता


पुल, यानी दो दूरियों को पाटने वाला निर्माण. पुल बनाए ही इसलिए जाते हैं कि दूरियां खत्म हों. लोग इस पार से उस पार को जाएं. पर यूपी के बिजनौर में गंगा पर बने इस ढांचे को हम पुल कैसे कहें. 2019 से तैयार यह ढांचा किसी को कहीं लेकर नहीं जाता. जनता की गाढ़ी कमाई से आने वाले टैक्स से करोड़ों खर्च कर किसी बहुद्देश्यी योजना को कैसे पलीता लगाया जाता है, इसकी बानगी देखनी हो तो आइए हमारे साथ बिजनौर में गंगा किनारे के गांव बालावाली चलिए. यहां 2015 में करीब 40 करोड़ के एस्टिमेट से पुल बनाने की घोषणा हुई. ऐसा पुल जो यूपी को सीधे उत्तराखंड से जोड़ता. हरियाणा, पंजाब भी जुड़ते. पर थक-हार कर 2019 में जब निर्माण पूरा हुआ तो यह महज कंक्रीट का एक ढांचे के रूप में ही रह गया.

पढ़िए बिजनौर के ग्राउंड जीरो से यूपी तक की यह विशेष रिपोर्ट...

यह शोपीस ब्रिज है और लोगों को मुंह चिढ़ाता नजर आता है

बिजनौर के बालावाली में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2015 में उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब को सीधा जुड़ने के लिए पुल निर्माण की घोषणा की गई थी. 2015 में पुल का शिलान्यास होने के बाद इसे 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया. लेकिन सरकारी काम भला तय समय पर कहीं होते हैं, जो यहां होंगे? पुल बनाने से पहले न जाने अफसरों ने क्या डीपीआर बनाया कि उत्तराखंडं सरकार की तरफ से अड़ंगा आ गया. जमीन विवाद शुरू हुआ. खैर दोनों राज्यों के अफसर बैठे. विवाद सुलटा और 2019 में जाकर निर्माण पूरा हुआ. पर यह निर्माण किस काम का अगर पुल पर जाने के लिए सड़क ही न हो?

अप्रोच रोड के इंतजार में करोड़ों का निर्माण बेकार

पुल पर यातायात इसलिए नहीं है कि यूपी और उत्तराखंड, दोनों ही साइड अप्रोच रोड नहीं बनी है. 2 साल हो गए लेकिन पुल की तरफ देखने पर मोटे-मोटे अक्षरों में सिर्फ इंतजार लिखा नजर आता है.
अहम बिंदु

अधिकारियों के मुताबिक, यूपी साइड में साढ़े 700 मीटर और उत्तराखंड की साइड में 200 मीटर अप्रोच रोड का निर्माण प्रस्तावित था. जैसे ही अप्रोच रोड का निर्माण शुरू हुआ, तभी उत्तराखंड साइड में एक और विवाद सामने आ गया. उत्तराखंड सरकार ने पुल की अप्रोच रोड बनाने के लिए जिसे अपनी भूमि बताकर पीडब्ल्यूडी को दी थी, उस जमीन पर एक स्थानीय किसान ने दावा कर दिया. किसान का दावा सही पाया गया और मामला फिर लटक गया.
यूपी साइड में साढ़े 700 मीटर और उत्तराखंड की साइड में 200 मीटर अप्रोच रोड का निर्माण होना है.फोटो: संजीव शर्मा / यूपी तक

साल 2021 मई में कई बार बातचीत करने के बाद उत्तराखंड के अधिकारियों ने उस किसान से यह जमीन खरीद कर अब अप्रोच रोड बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग को इसे सौंपा है. अब इस पर अप्रोच रोड बनने के आसार हैं, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के मुताबिक इस काम में भी अभी 1 साल से ज्यादा का समय लगेगा.

क्या अप्रोच रोड पर तटबंध बनाने की योजना बनी ही नहीं थी?

बिजनौर के पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने बताया कि जिस समय यह पुल स्वीकृत हुआ था, इसकी डीपीआर बनाई गई थी, उसमें पुल की गाइड बंध यानी अप्रोच रोड के दोनों और तटबंध बनाने का प्रोजेक्ट शामिल नहीं था. इसका परीक्षण 5 महीने पहले आईआईटी रुड़की द्वारा कराया गया. आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट पर अप्रोच रोड के दोनों हाथ गाइड बंध बनाना आवश्यक बताया गया है. गाइड बंध बनाने के लिए और बिजनौर के साइड में अप्रोच रोड के लिए कुछ जमीन की जरूरत है. इस पुल का अब रिवाइज स्टीमेट बनाकर उत्तर प्रदेश सरकार को दोबारा भेजा गया है.

क्या कहते हैं पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता?

बिजनौर पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता सुनील सागर ने बताया कि पहले इस पुल का स्टीमेट 40 करोड़ था. इसमें 36 करोड़ रुपये पुल निर्माण के लिए और चार करोड़ रुपए अप्रोच रोड के लिए रखे गए थे. अब गाइड बंध बनना है तो इसका स्टीमेट रिवाइज किया गया है, जिसमें कुछ जमीन को भी खरीदा जाना है. सड़क के दोनों और बनने वाले तटबंध में भी खर्चा आना है. इसलिए अब इसका 62 करोड़ का रिवाइज स्टीमेट बनाकर भेजा गया है. जल्द ही इसके स्वीकृत होने की संभावना है.

इसमें गाइड बंध बनना है और दोनों और अप्रोच रोड बनेगी, जिसमें बिजनौर की साइड साढ़े 700 मीटर और उत्तराखंड की साइड 200 मीटर अप्रोच रोड का निर्माण होना है. पूरा प्रयास रहेगा कि नवंबर 2022 तक पुल को हर हालत में शुरू कर दिया जाए.

सुनील सागर, अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी

अधिशासी अभियंता सुनील सागर के मुताबिक, अगले साल नवंबर तक पुल का काम पूरा हो जाएगा.

सुनील सागर ने बताया, "यह बिजनौर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पुल है क्योंकि इसके शुरू होने के बाद मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बिजनौर से जाने वाला ट्रैफिक इस पुल से सीधे उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब के लिए निकल जाएगा. अभी इन जिलों के लोगों को पंजाब-हरियाणा उत्तराखंड जाने के लिए हरिद्वार की ओर से जाना पड़ता है या फिर मुजफ्फरनगर से जाना पड़ता है. इससे करीब 50 किलोमीटर की अधिक दूरी पड़ती है. 119 नेशनल हाईवे और नेशनल हाईवे 74 पर जो ट्रैफिक का दबाव है वह कम हो जाएगा."
अहम बिंदु

सुनील सागर ने आगे बताया, "उत्तराखंड सरकार द्वारा अप्रोच रोड के लिए साल 2021 के मई महीने में 200 मीटर जमीन हमें दे दी गई है. उत्तर प्रदेश के साइड में भी अप्रोच रोड के लिए हमारे पास जमीन लगभग साढ़े 700 मीटर उपलब्ध है."

आसपास के ग्रामीण तो बस पुल पर ख्वाबों में ही चलते हैं

आसपास के गांव के रहने वाले लोगों का कहना है कि सरकारों की लापरवाही के कारण यह पुल तैयार होने के बाद भी शुरू नहीं हुआ. उन्हें आज भी रुड़की-सहारनपुर जाने के लिए या तो हरिद्वार से जाना पड़ता है या मुजफ्फरनगर से जाना पड़ता है, जिससे उनका पैसा और समय, दोनों ही ज्यादा खर्च होता है. फिलहाल तो हालात यही हैं कि करोड़ों की लागत से बने इस कंक्रीट के ढांचे को सरकारी फाइलों में पुल कहा जाता है और आसपास के ग्रामीण ख्वाबों में पुल से इस पार से उस पार जाते-आते रहते हैं.

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