- Bharatiya Janata Party ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के लिए सिद्धरमैया नीत पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है।
- कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में दिखी और नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया ने सत्तापक्ष के दावे का खंडन किया।
- Former Chief Minister HD Kumaraswamy की पार्टी जनता दल (Janata Dal) ने भी विधेयक का विरोध करने की घोषणा की थी।
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शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021
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Karnataka Legislative Assembly :- ने भारी हंगामे के बीच धर्मांतरण (conversion) विरोधी विधेयक को दी मंजूरी
Karnataka Legislative Assembly :- ने भारी हंगामे के बीच धर्मांतरण (conversion) विरोधी विधेयक को दी मंजूरी
सिद्धरमैया ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने इस विधेयक को 'Anti-people, inhuman, anti-constitutional, anti-poor and harsh' बताते हुए पुरजोर विरोध किया।
HIGHLIGHTS
Belagavi (Karnataka): कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार को हंगामे के बीच anti-conversion bill को मंजूरी दे दी। इससे पहले ‘कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021’ पर हुयी चर्चा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के लिए सिद्धरमैया नीत erstwhile congress सरकार जिम्मेदार है। अपने दावे के समर्थन में बीजेपी ने कुछ दस्तावेज सदन के पटल पर रखे। इसके बाद कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में दिखी और नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया ने सत्तापक्ष के दावे का खंडन किया।
कार्यालय में रिकॉर्ड देखने के बाद बदले सिद्धरमैया के सुर (Siddaramaiah's tone changed after seeing the records in the office)
हालांकि बाद में Speaker's Office में रिकॉर्ड देखने के बाद उन्होंने स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने सिर्फ मसौदा विधेयक को कैबिनेट के सामने रखने के लिए कहा था लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया था। सिद्धरमैया ने कहा कि इस प्रकार इसे उनकी सरकार की मंशा के रूप में नहीं देखा जा सकता है। सिद्धरमैया ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने इस विधेयक को 'Anti-people, inhuman, anti-constitutional, anti-poor and harsh' बताते हुए पुरजोर विरोध किया। उन्होंने आग्रह किया कि इसे किसी भी वजह से पारित नहीं किया जाना चाहिए और सरकार द्वारा इसे वापस ले लेना चाहिए।
ईसाई समुदाय के नेताओं ने भी किया विधेयक का विरोध (Christian community leaders also opposed the bill)
विधेयक का जिक्र करते हुए कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जे. सी. मधुस्वामी ने कहा कि विधेयक की शुरुआत कुछ बदलावों के साथ कर्नाटक के विधि आयोग द्वारा 2016 में तत्कालीन Congress government की सलाह के तहत शुरू की गई थी। बता दें कि ईसाई समुदाय के नेताओं ने भी विधेयक का विरोध किया है। इस विधेयक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और coercion, undue influence, coercion, inducement या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी अंतरण पर रोक लगाने का प्रावधान करता है।
विधेयक में दंडात्मक प्रावधानों का भी प्रस्ताव है (The bill also proposes penal provisions)
विधानसभा में पारित हुए इस विधेयक में दंडात्मक प्रावधानों का भी प्रस्ताव है और इस बात पर जोर दिया गया है कि जो लोग कोई अन्य धर्म अपनाना चाहते हैं, उन्हें कम से कम 30 दिन पहले निर्धारित प्रारूप में जिलाधिकारी के समक्ष घोषणापत्र जमा करना होगा। Former Chief Minister HD Kumaraswamy की पार्टी जनता दल (Janata Dal) ने भी विधेयक का विरोध करने की घोषणा की थी।
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