लोक लुभावन सपने दिखाने वाले चुनावी वादों पर अंकुश लगाये चुनाव आयोग : सुबह-ए-बनारस क्लब - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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सोमवार, 22 अगस्त 2022

लोक लुभावन सपने दिखाने वाले चुनावी वादों पर अंकुश लगाये चुनाव आयोग : सुबह-ए-बनारस क्लब

वाराणसी। सामाजिक संस्था सुबह-ए-बनारस क्लब के बैनर तले लोक-लुभावने सपने दिखाने वाली चुनावी वादों पर अंकुश लगाने की मांग को लेकर मैदागीन चौराहे पर प्रदर्शन किया गया। गौरतलब है कि जिस तरह से देश-प्रदेश मे सत्ता पर काबिज होने के लिए चुनावी दौर में आज की राजनीति में वोटरों को लुभावने के लिए लोक-लुभावने वादे किए जा रहे हैं, आने वाले दिनों में आर्थिक दृष्टिकोण से उसके गंभीर परिणाम को देखते हुए ये प्रदर्शन किया गया।

इस दौरान संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल ने कहां कि देश के तकरीबन सभी राज्यों में लगभग सभी पार्टियों की ओर से चुनावी मौसम में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। एक आम मतदाता को आकर्षित करने के लिए आज के समय में यह सबसे अच्छा उपाय भी है, क्योंकि ज्यादातर लोगों को मुफ्त की खाने की आदत पड़ गई है। लोगों की इसी कमजोरी का फायदा राजनीतिक पार्टियां उठाती रहती है, इस मुफ्त खोरी के चक्कर मे मतदाता अपना बहुमूल्य वोट दे देता है। लेकिन एक बार भी वह यह नहीं सोचता कि जो पार्टी इतना सब कुछ मुफ्त में दे रही है, आखिर वह उसका बजट कहां से लाएगी? इन सब बातों से अनभिज्ञ मतदाता उस पार्टी की सरकार बना देता है जो मुफ्त की रेवड़ियां का वादा कर रखे हैं।

देश के सभी नागरिकों को इस बात पर जरूर सोचना चाहिए कि मुफ्त में दी गई कोई भी सुविधा देश की अर्थव्यवस्था पर कितना गलत असर डालता है। इसके कारण कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का कार्य लंबित रह जाता है। देश में मुफ्त की कोई भी सुविधा देने से अर्थव्यवस्था की कमर ही टूटती है जो बिल्कुल भी सही नहीं है। एक आम मतदाता को इस बात पर विचार करना ही चाहिए कि अगर कोई पार्टी किसी भी तरह का लालच दे रही है तो एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते फर्ज बनता है कि वह अपनी जिम्मेदारी को समझ कर सभी राजनीतिक पार्टियों के मुफ्तखोरी को त्याग कर खुद को स्वावलंबी बनाएं जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी चार चांद लग जाएगा।

बता दें कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने जनता के पैसे खर्च करने के सही तरीकों को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि मुफ्त की रेवडियां बांटने के चुनावी वादों का मुद्दा जटिल होता जा रहा है। शीर्ष अदालत ने साफ तौर पर कह दिया इस संस्कृति के चलते अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो रहा है। मुफ्त की रेवड़ी बांटने की संस्कृति देश के विकास के लिए खतरनाक हो सकती है। पार्टियों को गंभीरता से विचार करना ही होगा गरीबी कोई राजनीतिक मुद्दा ना बने। जो जरूरतमंद लोग हैं, उन्हे एक समय तक योजना का लाभ मिलना कत्तई गलत नही है। जो लोग भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए तरस रहे है, उन पर करदाताओं या देश के पैसे का खर्च बिल्कुल जायज है। केवल शिक्षा, न्याय और इलाज के अलावा जनता को कुछ भी मुफ्त मत दो। क्योकि "मुफ्त खोरी लोगों को कामचोर और देश को कमजोर बनाती है।"

कार्यक्रम में मुख्य रूप से मुकेश जायसवाल,विजय कपूर,राजन सोनी, अनिल केसरी,नंदकुमार टोपी वाले,सुमित सर्राफ नीचीबाग बुलानाला व्यापार मंडल के अध्यक्ष प्रदीप गुप्त, पारसनाथ केसरी, डॉ० मनोज यादव, राजेश श्रीवास्तव, दिनेश सेठ, बच्चे लाल, प्रदीप जायसवाल, रवि ट्रेलर, प्रदीप कुमार, राजेंद्र अग्रहरि मुन्ना गुरु श्याम दास गुजराती, पप्पू गुजराती, ललित गुजराती, बीडी टकसाली सहित कई लोग शामिल थे।

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