वाराणसी। केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव का निजी सचिव बनकर लोगों को रेलवे में ट्रांसफर-पोस्टिंग का झांसा देने वाले जालसाज को साइबर क्राइम की वाराणसी सेल ने गिरफ्तार किया है। पकड़ा गया जालसाज रजत कुमार मिश्रा बिहार के पश्चिमी चंपारण के मठिया राजापुर का निवासी है। फिलहाल वह वाराणसी भेलूपुर थानाक्षेत्र में स्थान बदल-बदल के रह रहा था। अभियुक्त के पास से जालसाजी में इस्तेमाल फोन और 950 रुपये बरामद हुए हैं। व्यक्ति आम जीवन में पुजारी की तरह रहता था।
RPF महानिदेशक के पत्र पर हुई कार्रवाई
इस सम्बन्ध में सीओ साइबर क्राइम अविनाश चंद्र सिन्हा ने बताया कि UP के एडीजी साइबर क्राइम को RPF के पुलिस महानिदेशक ने पत्र भेजा था कि मोबाइल नंबर 9140605348 से संबंधित रजत कुमार मिश्रा अपने आपको रेल मंत्री का निजी सचिव बताता है। यह व्यक्ति रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को फोन कर अनुचित दबाव बनाता है। जबकि, रेल मंत्री के कार्यालय में रजत कुमार मिश्रा नाम का कोई कर्मचारी या अधिकारी नहीं है। इसपर कार्रवाई करते हुए एडीजी साइबर क्राइम के निर्देश में वाराणसी सेल द्वारा हुई जांच में रजत को चिह्नित कर लिया गया और उसे वाराणसी गिरफ्तार किया गया।
यूपी, बंगाल और बिहार में कई कर्मचारियों ने वसूले पैसे
सीओ ने बताया कि पूछताछ में रजत ने स्वीकार किया कि वह अपने मोबाइल नंबर 9450410580 और 9140605348 से रेल मंत्री का फर्जी निजी सचिव बनकर रेलवे के अधिकारियों को फोन करता था। ट्रांसफर/पोस्टिंग कराने के नाम पर यूपी से लेकर बिहार और बंगाल तक रेलवे के कई कर्मचारियों से अब तक पैसा वसूला है। रेल मंत्री का निजी सचिव बन कर उसने कई लोगों का रेल टिकट कंफर्म कराकर पैसा कमाया है।
रेल मंत्री का निजी सचिव बन करवाया प्रोटोकॉल के साथ दर्शन-पूजन
काशी विश्वनाथ मंदिर कंट्रोल रूम में फोन कर वाराणसी के डीएम और गोरखपुर के डीएम का लायजनिंग अधिकारी बनकर या फिर रेल मंत्री का निजी सचिव बनकर अपना नाम आरके मिश्रा बताता था। फिर, प्रोटोकॉल के साथ लोगों को दर्शन कराता था और उनसे पैसा लेता था। वाराणसी के कोतवाली थाने, गोरखपुर के डीएम व एडीएम सिटी और डीवाईएसएस कॉमर्शियल लखनऊ रेलवे, कॉमर्शियल कंट्रोल लखनऊ रेलवे और डीवाईएसएस कॉमर्शियल रेलवे गोरखपुर के नंबर पर कॉल करता था। सभी को रेल मंत्री का सचिव बताकर अपने काम करने के लिए कहता था।
पुजारी बन आम लोगों के बीच रहता था जालसाज
रजत कुमार मिश्रा ने बताया कि पुलिस की पकड़ में कभी न आने के लिए वह सामान्य तौर पर पुजारी की वेशभूषा में ही रहता था। इससे उस पर किसी को शक भी नहीं होता था। रजत ने कहा कि वह इस काम में बीते दो-ढाई साल से संलिप्त है। उसने यह भी कहा कि उसे याद तो नहीं है कि उसने अब तक कितना पैसा कमाया। मगर, जो भी पैसा कमाया उससे वह नए-नए मोबाइल और कपड़े खरीदने से लेकर होटलों में ठहरने और मौज-मस्ती में खर्च कर दिया।