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बुधवार, 7 सितंबर 2022
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वाराणसी : रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला में फिर गूजेंगे हर-हर महादेव और जय श्रीराम के उद्घोष
वाराणसी : रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला में फिर गूजेंगे हर-हर महादेव और जय श्रीराम के उद्घोष
वाराणसी। काशी की विश्व प्रसिद्ध रामलीला इस बार फिर आध्यात्मिक जगत में धूम मचाने जा रही है। कोराना काल के दो साल के बाद अनंत चतुर्दशी से शुरू होनेवाली रामलीला को लेकर नेमी दर्शनार्थियों और लीला प्रेमियों में इस बार ज्यादा उत्साह है। पिछले दिनों श्रीगणेश पूजन के साथ रामलीला का आगाज हो चुका है। अब अनंत चतुर्दशी यानी नौ सितम्बर को रावण जन्म, दिग्विजय, क्षीर सागर की झांकी, देव स्तुति और आकाशवाणी के साथ बहुप्रतिक्षित लीला का शुभारम्भ हो जाएगा। लीला की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। अब एक बार फिर लीला स्थलों पर हर- हर महादेव और जय श्री राम के उद्घोष गूंजेंगे। इस बार फिर आयोजन समिति ने रामलीला की लिस्ट जारी कर दी है।
रामनगर सूजाबाद के नगर निगम में विलय के बाद अब नगर पालिका की बजाए नगर निगम की जिम्मेदारी बढ़ गई है। रामलीला स्थलों पर सफाई व्यवस्था समेत अन्य बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने बताया कि इस संबंध में नगर पालिका रामनगर के ईओ को दिशानिर्देश दिए गए हैं। नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग, सामान्य विभाग के अधिकारियों को परम्परा के तहत होनेवाली इस लीला की समुचित व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि यूनेस्कों में शामिल विश्व की सबसे बड़ी मुक्ताकाशीय रामलीला को देखने देश-विदेश से लोग आते हैं। खुद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने लीला स्थल पर आकर इस लीला को देखा था। लीला के दौरान वह खुद धार्मिक ग्रंथ रामायण को हाथ में लेकर चौपाइयां और दोहे पढ़ रहे थे। इसके अलावा देश के विशिष्ट और अतिविशिष्ट लोगों का यहां आना लगा रहता है। लीला के पात्रों का चयन हो चुका है और वह संवाद को पात्र कंठस्थ करने में लगे हुए हैं।
इस रामलीला की खासियत यह है कि बिना बिजली और बिना माइक के पिन ड्राप साइलेंस का नजारा सदियों से पुरातन स्वरूप को जीवित रखे हुए है। कोरोना संक्रमण काल के कारण दो वर्ष से रामलीला महज प्रतीक पूजन के साथ ही संपन्न की जा रही थी। इस ऐतिहासिक लीला के आयोजन के ढाई सौ साल में काशी और आसपास के बहुत नजारे बदले, लेकिन रामनगर की रामलीला की परंपराएं आज भी यथावत हैं। अब भी यह यह लीला आधुनिकता के बयार से प्रभावित हुए बिना पंचलाइट और महताब की रोशनी में अनवरत हो रही है। तभी तो इसे परंपराओं की रामलीला के नाम से जाना जाता है।
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