कुर्सी ही नीतीश की एकमात्र विचारधारा, NDA में गुरिल्ला युद्ध
2014 में मोदी जी की ओर से युवाओं को मंगल ग्रह के उस पार के अनगिनत सपने दिखाए गए थे और हिमालयनुमा वादे किए गए थे। जनता मोदी जी की वादाखिलाफी से नाराज है। झूठ को हराने के लिए यह सच का जनता का महागठबंधन है। विपक्षी एकता की रणनीति तो जनता तय कर चुकी है। किसान, मजदूर, गरीब, दलित, पिछड़ा सब सरकार की तानाशाही और पूंजीपतिपरस्त नीतियों से त्रस्त हैं। बीजेपी प्रभावित लोग विपक्षी एकता को तोड़ने की लाख कोशिश कर लें, यह होकर रहेगा।
मायावती जी की रुचि से ही उपचुनाव में यूपी के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री अपनी सीट हार गए।
मेरा मानना है कि विपक्ष नहीं बल्कि जनता चुनाव लड़ रही है। यह लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं अपितु मुद्दों के खिलाफ है। जनता पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करने वाले, युवाओं को रोजगार देने वाले, महंगाई कम करने वाले और जुमलेबाजी के बजाय विकास करने वालों को प्राथमिकता देगी। चुनाव बाद सब कुछ तय हो जाएगा। पब्लिक है, सब जानती है।
एक म्यान में दो तलवार कैसे रह सकती है? बिहार मे नीतीश जी बीजेपी को सबक सिखाना चाहते हैं और बीजेपी नीतीश जी को। इनमें सीधे रूप से दोनों के बीच अविश्वास है। जब जिसको मौका मिलेगा, एक दूसरे की पीठ पर वार होगा। एनडीए में गुरिल्ला युद्ध चल रहा है। हर कोई एक दूसरे के खिलाफ साजिश करने में व्यस्त है। लेकिन यूपीए में सब ठीक है। कहीं कोई समस्या नहीं है।
साम, दाम, दंड, भेद, विश्वासघात और जनादेश के चीरहरण द्वारा प्राप्त कुर्सी ही नीतीश कुमार जी की विचारधारा है। मेरी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। अब उन्हें जनता पसंद नहीं करती क्योंकि उनका न कोई विचार है और न ही धारा। रामविलास जी दल-बदल चुनाव से पहले करते हैं, चुनाव जीतने के बाद नहीं। कुशवाहा जी को नीतीश कुमार एनडीए से निकलवाना चाहते हैं। कुशवाहा जी एनडीए में रहकर भी बिहार में ध्वस्त कानून और शिक्षा व्यवस्था पर लगातार सवाल उठा ही रहे हैं। मुख्यमंत्री जी की तरह कुशवाहा जी रीढ़विहीन नहीं हैं। आगे-आगे देखिए, बहुत चीजें साफ हो जाएगी। उपेंद्र कुशवाहा को तो हमने पब्लिक ऑफर दे दिया है। आगे उनको तय करना है।
मैं जनता का सेवक हूं और अभी विधायक और नेता प्रतिपक्ष के रूप में कार्य कर जनता के मुद्दों के साथ खड़ा हूं। वर्तमान में रहकर पहले वर्तमान की समस्याओं का हल करना ही मेरी प्राथमिकता है। किसे कहां से चुनाव लड़ना है, यह अकेले का नहीं, बल्कि पार्टी का फैसला होता है और वक्त आने पर यह तय हो जाएगा।
बिहार क्रांति और बदलाव की धरती है। बिहार से निश्चित ही बदलाव होगा क्योंकि बिहार की जनता राजनीतिक और सामाजिक रूप से सबसे ज्यादा जागरूक है। बिहार से एनडीए का पूर्ण सफाया होगा। बिहार की धरती से ही मोदी सरकार का पतन लिखा जाएगा।
राहुल गांधी बहुत ही नेकदिल और डाउन टु अर्थ व्यक्ति हैं। सभी मुद्दों को बारीकी से सुनते और समझते हैं। वह जो बोलते हैं, सच्चा बोलते है। वो दूसरों की तरह ऊंचा बोलकर झूठा नैरेटिव सेट नहीं करते। वो युवाओं के सपनों को सच करना जानते हैं, दूसरों की तरह बेचना नहीं। मुझे उनमें संभावना लगती है।