नागरिकता(citizenship) के लिए आए हर आवेदन की होगी जांच, अंतिम निर्णय लेगी State Government
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)
नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद संबंधित राज्य सरकारों की सहमति के बिना किसी विदेशी को भारतीय नागरिकता नहीं दी जाएगी। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय के प्रवक्ता अशोक प्रसाद ने कहा, ‘भारतीय नागरिकता के लिए आने वाले हर आवेदन की जांच संबंधित उपायुक्त या जिला मजिस्ट्रेट करेंगे और अपनी रिपोर्ट को संबंधित राज्य को सौंपेंगे। इसके बाद राज्य सरकार को भी अपनी एजेंसियों द्वारा आवेदन की छानबीन करनी होगी, तब जाकर किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता दी जाएगी।’
नागरिकता अधिनियम, 2019 का पूर्वोत्तर में कई संगठनों और काफी संख्या में लोगों ने विरोध किया है। अधिनियम में 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। बशर्ते कि वे कम से कम सात वर्ष से भारत में रह रहे हों। फिलहाल यह सीमा 12 साल है।
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए इससे पहले दीर्घकालीन वीजा का एक विशेष प्रावधान किया गया था। इस अधिनियम के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को यह साबित करना होगा कि वे इन तीनों देशों में से किसी एक के रहने वाले हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह विधेयक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा और इसके लाभार्थी देश में कहीं भी रह सकते हैं। अकेले असम को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को इन पीड़ित प्रवासियों का बोझ उठाना होगा। केंद्र सरकार असम के लोगों और राज्य सरकार की हरसंभव मदद करेगी। गृहमंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय उन लोगों को प्रोत्साहन देने पर विचार कर रहा है, जो पूर्वोत्तर छोड़कर कहीं भी बसना चाहते हैं।