बेरोजगारी(unemployment) की लड़ाई में कूदा NITI आयोग, कहा- फाइनल नहीं है Data
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, 'यह एक ड्राफ्ट रिपोर्ट है और उद्धृत किए गए आंकड़ों को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है या सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है। इसलिए इस डाटा का इस्तेमाल करना सही नहीं है।' उन्होंने आगे कहा कि सरकार फाइनल रिपोर्ट को मार्च में जारी करेगा जब डाटा इकट्ठा कर लिया जाएगा। इसे तिमाही-दर-तिमाही की तुलना के आधार पर जारी किया जाएगा।
एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में देश में बेरोजगारी की दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा 6.1 फीसदी रही। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में इसके आंकड़े पेश किए गए हैं। हालांकि, सरकार ने अभी रिपोर्ट आधिकारिक रूप से जारी नहीं की है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग से मंजूरी के बाद भी रिपोर्ट जारी नहीं करने के चलते सोमवार को आयोग के दो सदस्यों ने इस्तीफा भी दे दिया था। आंकड़े सामने आने के बाद कांग्रेस समेत विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है। नवंबर, 2016 में नोटबंदी की घोषणा के बाद यह देश में रोजगार की स्थिति पर आई पहली सर्वे रिपोर्ट है। जुलाई, 2017 से जून, 2018 के बीच जुटाए आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि इससे पहले इतनी बेरोजगारी 1972-73 में थी। 2011-12 मेें बेरोजगारी दर 2.2 फीसदी तक पहुंच गई थी।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर 5.3 फीसदी, जबकि शहरी क्षेत्र में 7.8 फीसदी रही। इस दौरान श्रम बल की भागीदारी दर (नौकरी चाहने वालों की संख्या) भी घटी है। 2011-12 में यह 39.9 फीसदी थी, जबकि 2017-18 में 36.9 फीसदी रह गई।
बेरोजगारी के आंकड़े (सभी आंकड़े 15 से 29 वर्ष आयुवर्ग के)
ग्रामीण युवा
2011-12 05 फीसदी
2017-18 17.4 फीसदी
ग्रामीण महिला
2011-12 4.8 फीसदी
2017-18 13.6 फीसदी
शहरी युवा
2011-12 8.8 फीसदी
2017-18 18.7 फीसदी
शहरी महिला
2011-12 14.9 फीसदी
2017-18 27.2 फीसदी