दिल्ली में बुजुर्ग वोटरों का आंकड़ा - फोटो : Bharat Rajneeti
बचन सिंह 3 साल के थे जब दिल्ली को अंग्रेजों ने अपनी राजधानी बनाया था। उन्होंने इस शहर में किसी भी शख्स से ज्यादा गर्मियां बिताई हैं। इस 12 मई को भी 111 साल के बचन सिंह अपनी ड्यूटी निभाने यानी अपना वोट देने जाएंगे। वह पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर के संतगढ़ में रहते हैं। बचन सिंह की ही तरह पूर्वी दिल्ली के विश्वास नगर में रहने वाले कृषन सिंह, द्वारका के नंदलाल गुप्ता भी वोट डालने की योजना बना रहे हैं। यह दिल्ली के 96 सौ वर्षीय बुजुर्गों में हैं। इन सभी का जन्म अंग्रेज शासनकाल में हुआ था, ये सभी वोट देने को एक पवित्र काम मानते हैं और किसी भी हालत में इससे पीछे नहीं हटेंगे।
चांद जिनकी उम्र 105 साल है वह अपनी देखने और सुनने की शक्ति खो चुके हैं। उनके बेटे शेर सिंह ने बताया कि उनका खराब स्वास्थ्य भी उन्हें वोट देने से नहीं रोक सकता। वह वोट डालेंगे। हम खुश हैं कि हमारे देश में ये आजादी है और हम इसका निरादर नहीं करेंगे। सब डिविजनल अफसर और चुनाव अधिकारी हमारे घर आए थे और वही इन्हें बूथ तक लेकर जाएंगे।
कमला नगर के फतेह सिंह भी अपनी मां के वोट डालने के बारे में पक्का हैं। वह कहते हैं, मेरी मां विद्या देवी 105 साल की हैं। वह अपनी उम्र के कारण कमजोर जरूर हैं लेकिन वह रविवार को वोट जरूर डालेंगी।