जाति की राजनीती चुनाव 2019: शत्रु की रार, रवि की धार, जाति करेगी बेड़ा पार - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शनिवार, 18 मई 2019

जाति की राजनीती चुनाव 2019: शत्रु की रार, रवि की धार, जाति करेगी बेड़ा पार

लोकसभा चुनाव 2019: शत्रु की रार, रवि की धार, जाति करेगी बेड़ा पार

रवि शंकर और शत्रु घन

रवि शंकर और शत्रु घन (फोटो): भारत राजनीती 

लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण में पटना साहिब सीट सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही सीट है। कायस्थ बहुल सीट पर इसी जाति के दो खास उम्मीदवार हैं। दोनों की छवि ईमानदार नेता की है। एक-दूसरे पर आरोप लगाने से दोनों परहेज करते हैं। मौजूदा सांसद और भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा जहां मोदी की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं, तो भाजपा उम्मीदवार और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मोदी की नीतियों की ही बात कर रहे हैं।  रविशंकर पहली बार लोकसभा के चुनावी मैदान में उतरे हैं। रवि और शत्रु दोनों ने पहले ही कह दिया था कि सियासी रस्साकशी में वे अपने पुराने संबंध असहज नहीं होने देंगे। पार्टियों और नीतियों की बात तो जरूर होगी, लेकिन परवरिश, परिवेश और परिवार पर चर्चा नहीं करेंगे। दोनों ने इसे निभाया। बीते चुनाव में शत्रुघ्न भाजपा से जीते थे, इस बार हालात और समीकरण अलग हैं। शत्रु के पाला बदलने से राजग ने रविशंकर को उतारा। हालांकि चर्चा आरके सिन्हा की भी थी। बेशक पटना साहिब सीट भाजपा की चंद मजबूत जनाधारवाली सीटों में से एक है, लेकिन कहा जा रहा है कि पार्टी के फैसले से उनके सांसद आरके सिन्हा नाराज हैं। 




वहीं, शत्रुघ्न को कायस्थ समेत मुस्लिमों व यादवों का वोट मिलने की उम्मीद है। बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा इस बार कांग्रेस के टिकट से हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं। उनके प्रयास को लालू, मांझी और कुशवाहा का भी साथ मिल रहा है। वहीं रविशंकर प्रसाद नीतीश के काम, मोदी मैजिक और कायस्थों के परंपरागत वोटों के सहारे मैदान में हैं। 

पटना साहिब सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर कायस्थों का दबदबा है। लगभग 5 लाख से ज्यादा कायस्थों के बाद यादव और राजपूत मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है। सामान्य तौर पर यहां के कायस्थ वोटरों का झुकाव भाजपा की तरफ ही रहता है, लेकिन इस बार दोनों ही तरफ बड़े कायस्थ चेहरे खड़े होने की वजह से वोट बंटने के कयास लगाए जा रहे हैं। पटना साहिब सीट से कायस्थ मतदाताओं के साथ ही वोटिंग का प्रतिशत भी काफी हद तक हार-जीत की तस्वीर को साफ करेगा। बहरहाल, पटना साहिब में कोई भी दल जीते, जीत कायस्थों की ही होगी।

6 में से 5 विस क्षेत्र पर भाजपा

पटना साहिब लोकसभा सीट में छह विधानसभा सीटें आती हैं। इन विधानसभा सीटों में बख्तियारपुर, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, दीघा और फतुहा सीटें शामिल हैं। इनमें पांच सीटें भाजपा के पास हैं। सिर्फ फतुहा सीट राजद के पास है। वर्ष 2015 में विधानसभा का चुनाव हुआ था। तब बिहार में अधिकतर सीटें महागठबंधन ने जीती थी।

दोनों लोकसभा चुनाव भाजपा जीती

पटना साहिब सीट का गठन वर्ष 2008 में नए परिसीमन के तहत हुआ था। इसके बाद से यहां पर दो लोकसभा चुनाव हुए हैं। दोनों ही बार भाजपा की यहां से जीत हुई है। इसके पहले यह सीट पटना लोकसभा के नाम से जानी जाती थी। पटना और बाढ़ लोकसभा सीट को नए परिसीमन में खत्म कर दिया गया। वर्ष 2008 में पटना साहिब और पाटलिपुत्र लोकसभा का गठन हुआ। पटना और बाढ़ के हिस्से को ही पटना साहिब और पाटलिपुत्र लोकसभा के बीच बांटा गया।

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