यूपीए-3 की राह आसान करेंगे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने की मुलाकात
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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी(photo): Bharat Rajneeti |
लोकसभा चुनाव के नतीजे 23 मई को आएंगे, लेकिन राजनीतिक दलों ने केंद्र में सरकार बनाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस पार्टी को अपने आंतरिक सर्वे में 'थ्री-डिजिट' का आंकड़ा पार करने की उम्मीद नजर आ रही है। यही वजह है कि कांग्रेस ने नतीजे आने से पहले ही यूपीए के सहयोगियों एवं एनडीए विरोधी दूसरे दलों का मन टटोलने के लिए अपने नेताओं को लगा दिया है। कौन किस राजनीतिक दल से बातचीत करेगा, इस बाबत कई नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी सिलसिले में शुक्रवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भेंट की है। राजनीतिक गलियारों में मुखर्जी और गहलोत की मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। मुखर्जी कई तरह से यूपीए-3 की राह आसान कर सकते हैं।
बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का यूपीए के अलावा एनडीए में भी सम्मान रहा है। यूपीए और एनडीए में कई ऐसे दल हैं, जो मुखर्जी का किसी न किसी कारणवश आदर करते हैं। कहीं पर पारिवारिक रिश्ते हैं तो कहीं लंबे समय तक एक साथ काम करना, आदि देखा जा रहा है। विभिन्न पार्टियों द्वारा कराए गए आतंरिक सर्वे के जो रुझान सामने आ रहे हैं, उनके मुताबिक लोकसभा चुनाव में किसी भी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा है।
पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंधप्रदेश, तमिलनाडु और केरल के कई बड़े नेता मुखर्जी को आज भी मानते हैं। लेफ़्ट और टीएमसी के नेता भी शिष्टाचारवश पूर्व राष्ट्रपति की बात को तव्वजो देते हैं। चूंकि अब दक्षिण भारत से तीसरे फ्रंट की आवाज उठ रही है, ऐसे में मुखर्जी यूपीए और एनडीए की राह आसान कर सकते हैं।
कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के नतीजे आने का इंतजार न कर पहले ही प्रणब मुखर्जी से संपर्क साध लिया है। कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रणब मुखर्जी की मुलाकात इसी राजनीति का हिस्सा है। यह बताना जरूरी है कि पिछले साल प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में आयोजित आरएसएस के कार्यक्रम में जाकर सबको हैरान कर दिया था।
उसके बाद कई नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया कि अब कांग्रेस और प्रणब मुखर्जी के बीच दूरी बढ़ गई है। हालांकि उनकी इस मुलाकात पर कांग्रेस की ओर से नपी-तुली प्रतिक्रिया ही देखने को मिली थी। सोनिया गांधी या राहुल गांधी ने उसके बाद भी प्रणब मुखर्जी को लेकर कोई ठेस पहुंचाने वाली बयानबाजी नहीं की।
बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का यूपीए के अलावा एनडीए में भी सम्मान रहा है। यूपीए और एनडीए में कई ऐसे दल हैं, जो मुखर्जी का किसी न किसी कारणवश आदर करते हैं। कहीं पर पारिवारिक रिश्ते हैं तो कहीं लंबे समय तक एक साथ काम करना, आदि देखा जा रहा है। विभिन्न पार्टियों द्वारा कराए गए आतंरिक सर्वे के जो रुझान सामने आ रहे हैं, उनके मुताबिक लोकसभा चुनाव में किसी भी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा है।
पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंधप्रदेश, तमिलनाडु और केरल के कई बड़े नेता मुखर्जी को आज भी मानते हैं। लेफ़्ट और टीएमसी के नेता भी शिष्टाचारवश पूर्व राष्ट्रपति की बात को तव्वजो देते हैं। चूंकि अब दक्षिण भारत से तीसरे फ्रंट की आवाज उठ रही है, ऐसे में मुखर्जी यूपीए और एनडीए की राह आसान कर सकते हैं।
कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के नतीजे आने का इंतजार न कर पहले ही प्रणब मुखर्जी से संपर्क साध लिया है। कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रणब मुखर्जी की मुलाकात इसी राजनीति का हिस्सा है। यह बताना जरूरी है कि पिछले साल प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में आयोजित आरएसएस के कार्यक्रम में जाकर सबको हैरान कर दिया था।
उसके बाद कई नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया कि अब कांग्रेस और प्रणब मुखर्जी के बीच दूरी बढ़ गई है। हालांकि उनकी इस मुलाकात पर कांग्रेस की ओर से नपी-तुली प्रतिक्रिया ही देखने को मिली थी। सोनिया गांधी या राहुल गांधी ने उसके बाद भी प्रणब मुखर्जी को लेकर कोई ठेस पहुंचाने वाली बयानबाजी नहीं की।
यूपीए के लिए इस तरह मददगार साबित हो सकते हैं प्रणब ...
देश के कई पार्टियां ऐसी हैं, जो कांग्रेस से निकली हैं। कांग्रेस में रहते हुए ऐसे बहुत कम नेता रहे हैं, जिनकी मुखर्जी के साथ कभी कोई अनबन हुई हो। केवल ममता बनर्जी के बारे में यह कहा जाता है कि उन्होंने मुखर्जी की वजह से कांग्रेस छोड़ी थी, लेकिन उसके बाद वे भी मुखर्जी का सम्मान करती रही हैं। इन दोनों को करीब से जानने वाले नेताओं का कहना है कि आज भी मुखर्जी और ममता बनर्जी के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ते हैं। अगर यूपीए को ममता के साथ की जरूरत पड़ती है तो मुखर्जी इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं।
इसी तरह वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी के पिता और पूर्व सीएम वाईएस राजशेखर रेड्डी के साथ प्रणब मुखर्जी के बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जगनमोहन रेड्डी एनडीए के साथ जा सकते हैं। ऐसे में प्रणब मुखर्जी, जगनमोहन से बात कर यूपीए की मदद कर सकते हैं। डीएमके चीफ एमके स्टालिन, केरल के सीएम पी विजयन और दूसरे राज्यों में लेफ़्ट के नेता भी मुखर्जी की बात मानते हैं।
इसी तरह कर्नाटक में कांग्रेस से नाराज चल रहे सीतारमैया भी मुखर्जी का कहना कभी नहीं टालते। बताया जा रहा है कि अशोक गहलौत ने ऐसे ही कई मसलों पर प्रणब मुखर्जी की राय ली है। उन्होंने मुखर्जी से आग्रह किया है कि वे यूपीए-3 की केंद्र में सरकार बनवाने के लिए मागदर्शन और मदद करें।
इसी तरह वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी के पिता और पूर्व सीएम वाईएस राजशेखर रेड्डी के साथ प्रणब मुखर्जी के बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जगनमोहन रेड्डी एनडीए के साथ जा सकते हैं। ऐसे में प्रणब मुखर्जी, जगनमोहन से बात कर यूपीए की मदद कर सकते हैं। डीएमके चीफ एमके स्टालिन, केरल के सीएम पी विजयन और दूसरे राज्यों में लेफ़्ट के नेता भी मुखर्जी की बात मानते हैं।
इसी तरह कर्नाटक में कांग्रेस से नाराज चल रहे सीतारमैया भी मुखर्जी का कहना कभी नहीं टालते। बताया जा रहा है कि अशोक गहलौत ने ऐसे ही कई मसलों पर प्रणब मुखर्जी की राय ली है। उन्होंने मुखर्जी से आग्रह किया है कि वे यूपीए-3 की केंद्र में सरकार बनवाने के लिए मागदर्शन और मदद करें।