#Bharat_Rajneeti: एक-दूसरे को ललकारती बाहुबलियों की पत्नियों में जंग
बिहार की इस चर्चित सीट पर 1984 के बाद से सीट पर कांग्रेस खाता नहीं खोल पाई है। भाजपा की भी स्थिति कमोबेश यही है। हालांकि 2014 की मोदी लहर में यहां से भाजपा के ओमप्रकाश यादव ने चुनाव जीता था। ओमप्रकाश 2009 में इस सीट से निर्दलीय चुनाव जीते थे। इन दोनों चुनावों में हिना शहाब दूसरे नंबर पर रही थीं। शहाबुद्दीन यहां से तीन बार राजद के टिकट पर सांसद रहे हैं।
मजबूरी में उतारा हिना को
हिना 2009 में चुनाव में उतरने से पहले घरेलू महिला के तौर पर जानी जाती थीं। गैरकानूनी गतिविधियों में दोषी करार दिए जाने के बाद यहां से सांसद रहा मोहम्मद शहाबुद्दीन 2009 में चुनाव नहीं लड़ सका था। लिहाजा उसकी पत्नी हिना शहाब को 2009 में राजद ने सीवान से टिकट दिया। हिना चुनाव हार गईं। 2014 में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार भी उन्हें टिकट मिला क्योंकि शहाबुद्दीन तिहाड़ जेल में हत्या की सजा काट रहा है।
कविता राजनीति के लिए बनीं
वहीं कविता सिंह जदयू के टिकट पर दरौंदा से विधायक हैं। पति अजय सिंह की मां जगमातो देवी यहां से दो बार विधायक रहीं। उनके निधन के बाद अजय सीट पर अधिकार जता रहे थे। नीतीश नहीं मानें तो अजय ने पत्नी को आगे किया। बताया जाता है कि अजय सिंह ने वैवाहिक विज्ञापन निकाला, जिसमें कहा कि लड़की का नाम मतदाता सूची में होना चाहिए, उसके पास मतदाता पहचान पत्र होना चाहिए। लड़की राजनीतिक परिवार से होती है तो उसे तरजीह दी जाएगी। 16 आवेदन आए, जिनमें कविता को चुना, क्योंकि वे गांव के मुखिया की लड़की थीं। 2011 में विवाह हुआ और इसी साल कविता ने दरौंदा विस उपचुनाव जीता।
इसी जिले से थे पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद
12 मई को मतदान करने जा रहे सीवान की धरती को देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जन्म स्थली कहा जाता है। वहां दोनों मुख्य पार्टियों में बाहुबलियों की पत्नी में से किसी एक को चुनने की अजीब स्थितियों में उलझी जनता के सामने मुद्दाें की भी कमी नहीं है। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और खराब सड़कें तक शामिल हैं।
दो चुनाव में वोट प्रतिशत
पार्टी 2009 2014
भाजपा - 42.16
राजद 26.91 29.28
जदयू 6.85 8.96
सीवान एक नजर
एससी-11.70%, हिंदू- 80 से 85%, मुस्लिम-15-20%