‘चीफ जस्टिस को फंसाने की जांच के लिए याचिका पर उचित समय पर होगी सुनवाई’
रंजन गोगोई (फाइल फोटो) : Bharat Rajneeti
खास बातें
- - सुप्रीम कोर्ट ने याचिका जल्द सूचीबद्ध करने से किया इनकार
- - सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग
Bharat Rajneeti: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के मामले में कथित रूप से फंसाने की साजिश के मामले में सीबीआई को एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश देने के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट उचित समय पर सुनवाई करेगा। जस्टिस एसए बोबडे व जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई की। पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा ने मामले पर जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने शर्मा से सवाल किया, ‘आपको इतनी जल्दी क्यों है? आपने याचिका दायर की और इसे सामान्य प्रक्रिया के तहत सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।’ शर्मा ने पीठ से अनुरोध किया कि उनकी याचिका 8 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि वह इसे जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध नहीं कर रहे हैं। शर्मा ने पीठ ने उनकी याचिका को उसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने को कहा, जिसने चीफ जस्टिस को फंसाने की साजिश का दावा करते हुए हलफनामा दायर करने वाले अधिवक्ता के मामले की सुनवाई की थी। इस पर जस्टिस बोबडे ने कहा, ‘हम देखेंगे कि यह कब और किस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगी।’
याचिका में कई वकीलों को बनाया है पक्षकार
शर्मा ने अपनी याचिका में प्रशांत भूषण, शांति भूषण, कामिनी जायसवाल, वृंदा ग्रोवर, इंदिरा जयसिंह, नीना गुप्ता भसीन और दुष्यंत दवे जैसे वरिष्ठ वकीलों को पक्षकार बनाया है। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि इनमें से कुछ वकीलों की कार्रवाई तो ‘कोर्ट की अवमानना के समान है और चीफ जस्टिस को बदनाम करने और उन्हें तथा शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों को नियंत्रित करने की सुनियोजित साजिश है।
सीबीआई दर्ज करे एफआईआर
शर्मा ने याचिका में अनुरोध किया गया है कि सीबीआई को भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत इन सभी अधिवक्ताओं और इनके द्वारा संचालित गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने, उनकी गिरफ्तारी करने और 2010 से इनकी जांच करने का निर्देश दिया जाए।