दिल मिलते तो दूर नहीं होती दिल्ली, हसरतों पर फिर गया पानी :एग्जिट पोल्स 2019

दोनों को भरोसा था कि अपने-अपने राज्यों में दमदार प्रदर्शन कर वे इस पद के लिए मजबूत दावेदारी पेश करेंगे। नायडू और पवार की रणनीति यह थी कि कांग्रेस से मधुर संबंध रखने के कारण यही पार्टी पीएम पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित कर सकती है। यही कारण है कि एक समय राजग से निकट संबंध बनाते दिख रहे पवार ने एकाएक कांग्रेस से मेलजोल बढ़ाकर महाराष्ट्र में फिर से गठबंधन किया, तो आंध्र प्रदेश में नायडू ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को जगह दी।
अब सभी एग्जिट पोल्स में राजग को अपने दम पर बहुमत मिलने का अनुमान जताने के बाद इन क्षत्रपों की महत्वाकांक्षा फिर से पूरी होती नहीं दिख रही। इन क्षत्रपों में मायावती और ममता की रणनीति उन पर ही भारी पड़ गई। इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस से हाथ मिलाया होता तो तस्वीर दूसरी होती। कांग्रेस ने अपनी भविष्य की राजनीति का ज्यादा ध्यान रखा और इस चुनाव में गठबंधन से परहेज किया। आत्मविश्वास से भरीं ममता-माया भी कांग्रेस के साथ जाने की अनिच्छुक दिखीं। इन राज्यों में वोट बंटवारे का फायदा भाजपा को मिला और इनकी हसरतों पर पानी फिर गया।